हिन्दी कहानियां एक जरिया हैं, आपनो को अच्छे संस्कार देने का। उन्हें बेहतर इंसान बनाने का। संभवत: यही कारण है कि आज हर उम्र का व्यक्ति कहानी सुनना या पढ़ना चाहता है। इसलिए हर कहानी का अपना एक अलग उद्देश्य होता है। जैसे आज के इस लखे में श्रवण कुमार का जीवन कथा, श्रवण कुमार की कहानी,श्रवण कुमार के माता पिता का नाम हिंदी में आप के बीच शेयर कर रहे हैं। जो की या कहानी त्रेता युग की है। जिसके माता-पिता अंधे होने के बाबजूद भी श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता की इच्छा को कैसे पूरा किया। जानते है इस कहानी के माध्यम से,
जो हम उम्मीद करते हैं, की ये कहानियां पूरा पढ़के आपको बहुत पसंद आएगा, तो इस Shravan Kumar kee Katha, को पुरे बिस्तार से जाने के लिए कहानी को अन्तः तक पढ़ना अबसायक है,क्यों की आधी ज्ञान से किसी का भला नहीं होता, तो आइए, हमारे साथ, कहानियों के इस अनोखे सफर पर.
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श्रवण कुमार का जीवन कथा | Shravan Kumar Kahani In Hindi
त्रेता युग की है यह कहानी। जिस युग में शांतुनु नामक एक सिद्ध साधू रहा करते थे, इनकी पत्नी भी एक सिद्ध धर्म परायण नारि थी . जब शांतुनु और उनकी पत्नी बहुत वृद्ध हो चुके थे और उनकी आँखों की रोशनी भी चली गई थी . इन दोनों का उस समय एक श्रवण कुमार नाम का पुत्र था।और उन्होंने श्रवण को कई मुसीबतों का सामना करते हुए पाला था।
1. श्रवण कुमार के बारे में
श्रवण कुमार बचपन से ही बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे. जो अपने माता-पिता का बहुत आदर करता था।
अपने माता पिता का बच्चो की तरह लालन पालन करता था . उसके माता पिता भी स्वयं को गौरवशाली महसूस करते थे और अपने पुत्र को दिन रात हजारो दुआये देते थे .जैसे-जैसे श्रवण बड़ा होता गया, उसने घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।
2. श्रवण कुमार के माता-पिता नाम ?
श्रवण कुमार के पिता नाम-शन्तनु तथा माता का नाम ज्ञानवन्ति था।
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3. माता-पिता श्रवण कुमार के बारे में क्या बोलते थे ?
श्रवण को इतनी मेहनत करते देख उसकी मां हमेशा उसे टोकती थी। वह कहती थी, “श्रवण बेटा तुम इतना सारा काम अकेले क्यों करते हो? खाना तुम मुझे बनाने दिया करो। इसके बदले तुम थोड़ा आराम कर लिया करो।” कई बार दोनों
एक दुसरे से कहते कि हम कितने धन्य हैं कि हमें श्रवण जैसा मातृभक्त पुत्र मिला, जिसने जिसने स्वयं के बारे में ना सोच कर, अपना पूरा जीवन,
वृद्ध नेत्रहीन माता पिता की सेवा में लगा दिया . इसकी जगह कोई अन्य होता तो विवाह के बाद केवल स्वयं का हित सोचता और बूढ़े नेत्रहीन माता-पिता को कही छोड़ आता .और ख़ुशी से अपना जीवनव्यापन करता .
4. जब ये बात श्रवण ने सुनी तो उसने क्या कहा ?
मां की इन बातों को सुनकर श्रवण कुमार कहता, कि मैं कुछ भी भिन्न नहीं कर रहा हूँ, यह मेरा कर्तव्य हैं, जब मैं छोटा था तब आपने मुझे इससे भी ज्यादा अच्छा जीवन दिया और अब मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ हैं कि मैं आपकी सेवा करूँ . “और भला अपने मां-बाप के लिए किए गए कामों में कैसी थकान। उल्टा मुझे तो खुशी मिलती है।”
श्रवण कुमार की इन बातों को सुनकर उसकी मां भावुक हो गई। वो रोज भगवान से प्रार्थना करती, “हे प्रभु! इतना आदर करने वाला श्रवण जैसा बेटा हर माता-पिता के घर पैदा हो।”
श्रवण के मां-बाप नियमित रूप से भगवान की आराधना करते थे। वह उनके लिए फूल और पूजा की अन्य सामग्री लाता। फिर खुद भी बिना देर किए माता-पिता के साथ पूजा में शामिल हो जाया करता था।
श्रवण कुमार धीरे-धीरे बड़ा हुआ और सुबह जल्दी से घर के कार्यों को खत्म करके बाहर काम पर निकल जाता था।
5. श्रवण कुमार के माता-पिता की एक इच्छा कोण सी थी.
एक दिन श्रवण अपने माता-पिता के साथ बैठा था, तभी उन्होंने श्रवण से कहा, “बेटा तुमने हमारी हर ख्वाहिश पूरा की है। अब हमारी केवल एक ही इच्छा है, जिसे हम पूरी करना चाहते हैं।यह सुन श्रवण ने उनसे पूछा,आप दोनों जो भी इच्छा रखते हैं, मुझसे कहे .मैं आपकी हर ख्वाहिश को पूरा करूँगा .
तब शांतुनु और उसकी पत्नी कहते हैं – अब हम बूढ़े हो चुके हैं और हम दोनों की आयु बहुत हो चुकी हैं , अब जीवन का कोई भरोसा नहीं हैं, किसी भी समय हमारी आँखे बंद हो सकती हैं ऐसे में हम चाहते हैं कि मरने से पहले तीर्थ यात्रा के लिए जाएं। भगवान के शरण में जाकर हमें सुकून की प्राप्ति होगी।” क्या तुम हमारी यह इच्छा पूरी कर सकते हो ?
6. अपने मां-बाप की बात सुनकर श्रवण कुमार क्या सोचता है ?
अपने मां-बाप की बात सुनकर श्रवण कुमार सोचने लग गया कि वह उनकी इस इच्छा को कैसे पूरा करेगा। उस समय किसी तहरा की वाहन सुविधा भी नहीं थी। साथ ही उसके माता-पिता देख भी नहीं सकते थे। ऐसे में उन्हें तीर्थ यात्रा कराना भला कैसे संभव हो पाता। फिर कुछ देर सोचने के बाद ,
श्रवण कुमार अपने माता-पिता के चरणों को पकड़ कर अत्यंत प्रसन्नता के साथ कहता हैं – हाँ पिताश्री, यह तो मेरे लिए परम सौभाग्य की बात होगी कि मैं आप दोनों की इच्छा पूरी करू .
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7. श्रवण अपने माता पिता को तीर्थ करवाने हेतु क्या तरकीब सूझी ?
श्रवण अपने माता पिता को तीर्थ करवाने हेतु एक तरकीब सूझी। वह तुरंत बाहर गया और वहां से दो बड़ी टोकरी लेकर आया। और दो बड़ी टोकरी से एक मजबूत डंडे में मोटी रस्सी के सहारे लटका कर एक बड़ा-सा तराजू तैयार करता हैं, फिर श्रवण कुमार ने उस कावड़ में अपने मां-बाप को बड़े प्यार से बारी-बारी से गोद में उठाकर बैठा दिया।
और कावड़ के डंडे को अपने कंधे पर लादकर यात्रा शुरू करता हैं .उसके हृदय में माता पिता के प्रति इतना स्नेह हैं कि उसे उस कावड़ का लेषमात्र भी भार नहीं लगता .वह लगातार कुछ दिनों तक अपने माता-पिता को एक के बाद एक सभी पवित्र स्थलों पर घुमाने लगा। इस दौरान श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को प्रयाग से लेकर काशी तक के दर्शन कराए।
माता-पिता को घुमाते समय श्रवण कुमार उन्हें उन जगहों के बारे में भी बताते चलता था, क्योंकि वह आंखों से उस दृश्य को नहीं देख सकते थे। अपनी बेटे की मेहनत को देख उसके माता-पिता बहुत खुश थे।
उन्होंने एक दिन श्रवण से कहा, “बेटा, हम देख नहीं सकते, लेकिन कभी भी हमें इस बात का दुख नहीं हुआ। तुम हमारे लिए हमारी आंखें हो। तुमने हमें जिस तरह सारे पवित्र स्थानों की कथा सुनाकर उनके दर्शन कराए हैं, ऐसा लगता है जैसे कि हमने सच में प्रभु के दर्शन अपनी खुद की आंखों से किया हो।”
अपनी माता-पिता की बातें सुनकर श्रवण ने कहा, “आप लोग ऐसी बातें कदा भी न करें। बच्चों के लिए माता-पिता कभी भी बोझ नहीं होते। यह तो बच्चों का धर्म होता है।”
इसी तरहा बाते करते-करते जब वे तीनों अयोध्या नगरी पहुँचते हैं, तब माता पिता श्रवण से कहते हैं कि उन्हें प्यास लगी हैं . तो उसने अपने माता-पिता से कहा, “आप दोनों यहां आराम करें, मैं आप लोगों के लिए अभी पानी लेकर आता हूं।” हाथ में पत्तो का पात्र बनाकर, सरयू नदी से जल भरने लगा।
8. अयोध्या के राजा की तीर किसको जाके लगाती है ?
उसी जंगल में अयोध्या के राजा दशरथ भी हिरण के शिकार के लिए उसके पीछा कर रहे थे,
तब ही उन्हें घने जंगल में झाड़ियों के पार पानी में हलचल की आवाज सुनकर उन्हें लगा कि कोई जानवर पानी पीने आया है। उन्होंने बिना देखे केवल ध्वनि सुनकर ही अपना तीर शिकार के उद्देश्य से चला देते हैं और दुर्भाग्य से वह सीधे श्रवण कुमार को हृदय को जा लगता हैं
अयोध्या के राजा की तीर किसको जाके लगाती है ?
जिससे उसके मुँह से पीड़ा भरी आवाज निकलती हैं जिसे सुन दशरथ स्तब्ध रह जाते हैं और उन्हें अन्हौनी का अहसास होता हैं, और वे भागकर सरयू नदी के तट पर पहुंचते हैं, जहाँ वे अपने तीर को श्रवण के ह्रदय में लगा देख नजदीक पहुंचे और कहा, “मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई। मुझे माफ कर दीजिए।
मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि यहां कोई मानव होगा। मैं इस गलती का पश्चाताप करने के लिए क्या करूं कि तुम मुझे माफ कर दो।”तब अंतिम सांस लेता श्रवण कुमार महाराज दशरथ को अपने वृद्ध नेत्रहीन माता पिता के बारे में बताता हैं और कहता हैं कि वे प्यासे हैं उन्हें जाकर पानी पिला दो और मेरे बारे में उन्हें कुछ भी न बताएं।
इतना कह कर श्रवण कुमार मृत्यु को प्राप्त हो जाता हैं .श्रवण कुमार की मौत से राजा दशरथ सुन्न पड़ गए। किसी तरह वो श्रवण कुमार के बताए अनुसार जल लेकर उसके माता-पिता के पास पहुंचे और उन्हें पानी पिलाते हैं . श्रवण के माता-पिता अपने बेटे की आहट को बखूबी पहचानते थे। भले ही वो नेत्रहीन हो, उन्होंने आश्चर्य से पूछा, “तुम कौन हो और हमारे श्रवण को क्या हुआ? वह क्यों नहीं आया?”
माता पिता के प्रश्नों को सुन महाराज दशरथ उनके चरणों में गिर जाते हैं और बीती घटना को विस्तार से कहते हैं .मां मुझे माफ कर दीजिए। शिकार करने के लिए मैंने जो तीर चलाया था, वो सीधे आपके बेटे श्रवण को जा लगा। उसने मुझे आप लोगों के बारे में बताया, इसलिए मैं यहां पानी लेकर चला आया।” इतना कहकर राजा दशरथ चुप हो गए।
पुत्र की मृत्यु की खबर सुनकर माता पिता रोने लगते हैं और दशरथ से उन्हें अपने पुत्र के पास ले जाने को कहते हैं . महाराज दशरथ कावड़ उठाकर दोनों माता पिता को श्रवण के शरीर के पास ले जाते हैं .अपने बेटे के पहुँचते ही दोनों बहुत जोर-जोर से विलाप करने लगते हैं, उनके विलाप को देख महाराज दशरथ को अत्यंत ग्लानि का आभास होता हैं और वे अपनी करनी की क्षमा याचना करते हैं।
9. शांतुनु महाराज दशरथ को क्या श्राप देते हैं
लेकिन दुखी पिता शांतुनु महाराज दशरथ को श्राप देते हैं कि जिस तरह मैं शांतुनु, पुत्र वियोग में मरूँगा, उसी प्रकार तुम भी पुत्र वियोग में मरोगे .इतना कहकर दोनों माता- पिता कुछ ही देर बाद अपने शरीर को त्याग मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं .
निष्कर्ष -Conclusion–तो प्यारो दोस्तों आशा करता हूं आज की हमरी या आर्टिकिल श्रवण कुमार की कथा को पूरा पढ़ के आपको पसंद आया हो तो, आप अपने बच्चो को ये. श्रवण कुमार जीवन कथा जरूर सुनाए ताकि उनके audas Face par थोड़ा सा Smile लाके, आप अपने बच्चो के best बन सकते हो। और साथ ही
हमारी कहानी में कोई कमी लगे तो। आप हमे बेझिझक COMMENT करके अवश्य बतायें, ताकि ऊस कमी को दूर करने मैं सफ़ल राहु और हमे आपके साथ जुड़े रहने का मौका मिले। साथ ही इस Shravan Kumar kee Katha, को आपने दोस्त और रिस्तेदारो के साथ इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अवश्य शेयर कीजिएगा ताकी अनको भी कुछ Help हो,तो हम जल्द ही मिलते है इसी तरहा के बेस्ट story के साथ तब तक के लिए,।🙏धन्यवाद,,आपका दिन शुभ हो
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