आज की कहानी का नाम है- हथिनी और उसके तीसरे बेटे की पंचतंत्र कहानी, जो एक हथिनी और उसके तीसरे बेटे की कहानी है. जिन्होंने अपने तीसरे बेटे को भी अपने दोनों बेटों के बराबर प्यार दिया, जानते है, इस कहानी के माध्यम से, जो की हम उम्मीद करते हैं की ये कहानियाँ “हथिनी और उस का तीसरा बेटा” “हथिनी और तीसरा बेटा” “पंचतंत्र की कहानी” “हिन्दी कहानियां” “Hindi Stories” “Hindi Kahani” “Story of Hathi and her third son” आपको पढ़ने का शौक है, तो इस कहानी को पुरे बिस्तार से समझने के लिए कहानी को अन्तः तक पढ़िए गा क्यों की ये kahani आपको बहुत पसंद आएगा और हऔर हमें बताएं कि इस कहानी से आपको क्या सीख मिली और आपको कहानी कैसी लगी।

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पंचतंत्र की कहानी: हथिनी और उस का तीसरा बेटा

पंचतंत्र की कहानी: हथिनी और उस का तीसरा बेटा | Story of Hathi and her third son in Hindi

एक घने जंगल में एक हाथी और हथिनी दोनो एक साथ रहते थे। दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. प्रतिदिन वे दोनों एक साथ भोजन की ख़ोज पर जाते और भोजन को इकठा कर उसे बराबर मिल कर खाते। दोनों के बीच काफी भरोसा और विश्वास था. कुछ समय बाद हाथी और हथिनी दो बेटों के माता-पिता भी बन गए।

 

जब हथिनी के बच्चे पैदा हुए तो हाथी ने उससे कहा, “अब तुम भोजन की ख़ोज पर मत जाना। घर पर खुद की और बच्चों की देखभाल करना। मैं अकेला ही हम सब के लिए भोजन लेकर आऊंगा।” हथिनी ने भी हाथी की बात मान ली और उस दिन हाथी अकेले ही भोजन के तलाश में जाने लगा। वहीं, हथिनी घर पर रहती है और बच्चों की देखभाल करती है।

 

बदकिस्मती से एक दिन हाथी को कोई भी भोज नहीं मिला। थकहार कर जब वह खाली हाथ घर की ओर जा रहा था, तो उसी रास्ते में खरगोश का एक बच्चा अकेला घूमता हुआ दिखाई दिया। उसने सोचा आज अपने पास हथिनी और बच्चों के लिए खाना नहीं मिला, इसलिए वह इस खरगोश के बच्चे को ही अपना भोजन बनाएगा। हाथी ने खरगोश का बच्चा पकड़ लिया, परन्तु वह बहुत छोटा था, इसलिये वह उसे मार नहीं सका। वह उसे जिंदा ही घर लेकर चला गया।

पंचतंत्र की कहानी: हथिनी और उस का तीसरा बेटा में आगे क्या हुआ | Hindi कहानी

हथिनी के पास पहुंचकर उसने बताया कि आज मुझे कोई भोजन नहीं मिला। इसलिए रास्ते में यह खरगोश का बच्चा दिखाई दिया, तो उसे ही भोजन के लिए लेआया। हाथी की बातें सुनकर हथिनी ने कहा – “जब तुम इसे बच्चे को नहीं मार पाए, तो मैं कैसे इसे मार सकती हूं?” मैं यह नहीं खा सकती. इसे भी मैं अपने दोनों बच्चों की तरह ही पाल-पोसकर बड़ा करुगी और अब से हमारा तीसरा बेटा होगा।”

 

उसी दिन से हथिनी और हाथी खरगोश के बेटे को भी अपने पुत्रों ही तरह प्यार करने लगें।उसे भी हाथी के परिवार के साथ बहुत खुस थी। उन्हीं के साथ खेलता-कूदता और बड़ा होने लगा। तीनों बच्चों को लगा कि वह सारे ही शेर हैं।

 

पंचतंत्र की कहानी: हथिनी और उस का तीसरा बेटा

जब वह तीनों कुछ और बड़े हुएं,तो खेलने के लिए जंगल में जाने लगें। एक दिन उन्होंने वहां एक शेर को देखा। हथिनी के दोनों बच्चे शेर के पीछे-पीछे शिकार के लिए गए। वहीं, खरगोश का बच्चा डर के मारे उन्हें ऐसा करने से मना कर रहा था। लेकिन, हथिनी के दोनों बच्चों ने खरगोश की बात नहीं मानी और शेर के पीछे लगे रहें गए और खरगोश का बच्चा वापस घर पर हथिनी मां के पास आ गया।

कुछ देर बाद जब हथिनी के दोनों बच्चे भी वापस आये तो उन्होंने जंगल वाली बात अपनी माँ को बताई। उन्होंने बताया कि वह शेर के पीछे चला गया, लेकिन उनका तीसरा भाई डरकर घर वापस आ गया। इससे खरगोश का बच्चा गुस्सा हो गया। और कहा कि तुम दोनों जो खुद को बहुदर बता रहे हो, मैं तुम दोनों को जमीन पर गिरा सकता हूं।

 

Rabbit के बच्चे की बात सुनकर हथिनी ने उससे कहा कि उसे अपने भाइयों से इस तरह की कोई बात नहीं करनी चाहिए। उसका भाई झूठ नहीं बोल रहा, बल्कि वे दोनों सच ही बता रहे हैं।

हथिनी की बात भी खरगोश के बच्चों को अच्छी नहीं लगी। असंतुलित में उसने कहा, तो क्या आपको भी लगता है कि मैं डरपोक हूं और शेर को देखकर डर गया था?

पंचतंत्र की कहानी: हथिनी और उस का तीसरा बेटा को आगे पढ़िए | पंचतंत्र की kahani

खरगोश के बच्चे की यह बात हथिनी ने सुनी और उसे अकेले में ले गई और उसे उसके खरगोश होने का सच बताया। हमनें तुम्हें भी अपने दोनों बच्चों की तरह ही बड़ा किया गया है, उन्हीं के साथ तुम्हारी भी परवरिश की है, लेकिन तुम खरगोश राजवंश के हो और अपने राजवंश के हो ने कारन तुम शेर जैसे बड़े जानवरों को देखकर डर गए और घर वापस आ गए। वहीं, तुम्हारे दोनों भाई हथिनी के वंश के हैं, जिसके कारण वह शेर का शिकार करने के लिए उसके पीछे भाग गए।

हथिनी ने आगे कहा कि अभी तक तुम्हारे दोनों भाईयों को तुम्हारे खरगोश होने का पता नहीं है। जिस दिन उन्हें यह पता चलेगा वह हमारा भाई नही है। तो वह तुम्हे मार सकते हैं। इसलिए, अच्छा होगा कि तुम यहां से जल्द ही भाग जाओ और अपनी जान बचा लो।

शेरनी से अपने बारे में सच सुनकर लोमड़ी का बच्चा डर गया, और मौका मिलते ही वह रात में वहां से छिपकर अपने  राजवंश की और भाग गया।

इस कहानी से हमे सीख मिलती है :-

की कायर और डरपोक वंश के लोग अगर बहादुर लोगों के बीच भी रहते हैं, तो वह बहादुर नहीं बन सकते हैं। उनके प्रयोग में उनके वंशज की सोच और दक्षता की झलक बनी रह सकती है।

निष्कर्ष-
यह कहानी हमने गूगल और किताबों से रिसर्च करके लिखी है। तो प्यारो मित्रो हमारी आज की ( पंचतंत्र की कहानी: हथिनी और उस का तीसरा बेटा आप को पूरा पढ़ के कैसा लगा नीचे COMMENT करके हमे अवश्य बतायें.ताकि हमे प्रेरणा मिले आप के लिए एक और नई कहानी लाने का अगर आप को या कहानी थोड़ी सी भी पसंद आई होगी तो इस पोस्ट को LIKE करके आपने दोस्त और परिवार-जनों के साथ इस कहानी को अवश्य शेयर कीजिएगा, तब तब तक, हमारी और कहानियाँ पढ़ें, धन्यवाद, आपका दिन शुभ हो

इस Article से Related google पर serch किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर (FAQs)में दिए गए है।

FAQ –

Ques-1:हथिनी कैसे गर्भ धारण करती है?
Ans:- हथिनी, जिसे अंग्रेजी में ‘एलिफेंट’ कहा जाता है, गर्भ धारण करने की प्रक्रिया कुछ खामियां और दिलचस्प है। यह एक बड़ा स्तनधारी जानवर होता है और इसके स्तनधारी में कुछ विशेषताएं होती हैं।

  • गर्भवती का दौर: हथिनी की बीमारी की अवधि लगभग 22 महीने तक हो सकती है, जिसमें 18 महीने तक बच्चे की मात्रा बढ़ जाती है।
  • हाल कुछ महीना: हथिनी के बच्चे का लगभग कुछ महीनों के बाद अंतिम दौर हो सकता है।
  • एक ही बच्चे का जन्म: हथिनी एक बार में एक ही बच्चे को जन्म देती है, जो ज्यादातर एक कला होती है और कभी-कभी एक ही गर्भ में दो बच्चे भी हो सकते हैं, लेकिन यह बहुत ही दुर्लभ है।
  • विशेष धूप-छाया क्षेत्र: गर्भवती हथिनी अक्सर विशेष धूप-छाया क्षेत्रों में जाती है ताकि उसे उच्च तापमान और सुरक्षित माहौल मिल सके।
  • गर्भवती होने का पता: हथिनी की गर्भधारणा का पता उसके पेट की मोटाई, चौड़ाई और वजन में वृद्धि से लगता है, जिसमें एक छोटा सा गर्भ दिखाई देता है।
  • बच्चे की देखभाल: हथिनी ने अपने बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल में काफी सावधानी बरतती है और बच्चे को लंबे समय तक संरक्षित रखती है।

इस प्रकार, हथिनी की गर्भवती एक दिलचस्प और अनोखी घटना है, जिसमें अपने बच्चों की सुरक्षा और देखभाल का पूरा ध्यान रखा जाता है।

Ques-2:हाथियों के बच्चे किस उम्र में होते हैं?
Ans:- अफ्रीकी हाथियों में ज्यादातर माएँ पहली बार 14 से 15 साल की उम्र में बच्चों को जन्म देती हैं, और एशियाई हाथियों में थोड़ी देर बाद। 16 से 40 साल की उम्र के बीच उर्वराता काफी स्थिर रहती है और फिर कुछ कम हो जाती है, हालांकि 60 से ज्यादा उम्र की महिलाएं अभी भी बच्चे पैदा कर सकती हैं।

Ques-3:हाथी का शिशु जन्म होते ही कितने बजन के होते है ?
Ans:- हाथियों के बच्चे, जिन्हें ‘शिशु हाथी’ भी कहा जाता है, जन्म के समय काफी बड़े होते हैं। एक हाथी का बच्चा जन्म लगभग 200 पाउंड (90 किलोग्राम) का हो सकता है और इसकी उत्तेजन लंबाई 3 फीट (1 मीटर) तक होती है।

Ques-4:हथिनी का तीसरा बेटा कौन था?
Ans:- हथिनी का तीसरा बेटा खरगोश का एक छोटा सा बच्चा था

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