क्या आप जानते है सावन सोमवार व्रत एक ऐसा प्रमुख व्रत है जिसे भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व प्राप्त है।यह व्रत प्रतिवर्ष श्रावण मास के सोमवार को रखा जाता है और इसे शिवभक्तों द्वारा पूज्यता प्राप्त है। और श्रावण मास के शुभ महीने में इस व्रत का पालन करने से भगवान शिव अपनी भक्तों की मुराद जल्दी पूरी करते हैं। संभवत: यही कारण है कि आज हर उम्र के शिव भक्त इस व्रत का पालन करने का सही नियम google पे खोजते है। इसलिए आज के इस लखे में हम लेकर आये है सावन सोमवार व्रत कथा के दिलचस्प रहस्य! जीवन में व्रत की महत्वता की संपूर्ण जानकारी हिंदी में आप के बीच शेयर कर रहे हैं।
यदि आप सोमवार के व्रत करते हैं तो, आपको सोमवार व्रत कथा के रहस्य! को जानना बेहद जरुरी है।जो हम उम्मीद करते हैं, या लेख पूरा पढ़के आपको बहुत आनंद आएगा, तो इस saavan somavaar vrat katha in Hindi को पुरे बिस्तार से गहन जानकारी लेने के लिए कहानी को अन्तः तक पढ़ना अबसायक है,क्यों की आधी जानकारी से बहुत से सवाल के जबाब नहीं मिलते, तो आइए, हमारे साथ, दिलचस्प कथा के इस अनोखे सफर पर
सावन सोमवार व्रत कथा के दिलचस्प रहस्य!| Sawan Somvar Vrat Katha in Hindi
भारतीय संस्कृति में व्रतों का विशेष महत्व है, और सावन के महीने में होने वाले सावन सोमवार व्रत को लोग विशेष आदर से मानते हैं। यह व्रत हिन्दू धर्म में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की पूजा और विशेष व्रत के रूप में मनाया जाता है। सावन व्रत कथा के रहस्यमयी पहलूओं को जानेंगे जो इस व्रत को विशेष बनाते हैं और इसका महत्व बढ़ाते हैं।
सावन सोमवार का एक पुरानी व्रत कथा (An old fasting story of Sawan Monday)
कई वर्ष पहले की बात है, एक गांव में एक व्यापारी रहता था। उसका नाम विजय था। उसका व्यापार बहुत दूर तक फैला हुआ था। यहां के सभी नगरवासी उसका बहुत आदर करते थे। उस व्यापारी के पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी, लेकिन फिर भी वह अपने जीवन में सुखी नहीं था।
दरअसल, उस व्यापारी का कोई संतान न होने के कारण वह बहुत दुखी था। जिस कारण हर समय उसे यही चिंता सताती थी कि उसके मरने के बाद उसकी संपत्ति की देखभाल कौन करेगा। वह व्यापारी बेटे की चाहत में हर सोमवार को व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता और शाम ढलते ही मंदिर जाकर शिव भगवान के सामने दीप जलाता था।
विजय की श्रद्धा-भक्ती देखकर एक दिन मां पार्वती जी प्रसन्न होकर भगवान शिव से विजय की मनोकामना पूर्ण करने का प्रार्थना की।इस पर भगवान शिव ने कहा, ‘हे पार्वती, इस दुनिया में हर किसी को उसके कार्यों के आधार पर फल मिलता है।”और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है’
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भगवान शंकर के समझाने पर भी पार्वती जी नहीं मानीं। वह व्यापारी की भक्ति देखकर लगातार बाबा भोले नाथ से यही कहती रहीं कि उसकी मनोकामना पूर्ण कर दीजिए। आख़िर में माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने व्यापारी को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दे दिया लेकिन
आशीर्वाद देने के बाद भगवान शंकर ने पार्वती माता से कहा,“व्यापारी का बेटा केवल 14 वर्ष की उम्र तक ही जीवित रहेगा।”यही बात भगवान शिव ने उस व्यापारी के सपने में जाकर उसे भी बताई।वरदान पाकर व्यापारी प्रसन्न था, लेकिन बेटे की उम्र 14 वर्ष ही होगी सोचकर उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही दुख। वह पहले की भांति हर सोमवार को शिवजी की पूजा करता रहा।
कुछ समय बीतने के बाद, विजय की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जो बहुत सुंदर था। उसका नाम ओम रखा गया। बेटे के जन्म की खुशी में एक समारोह का भी आयोजन किया गया। इस जश्न के माहौल में व्यापारी अभी भी दुखी था। हर समय उसे यह डर लगा रहता था कि उसका बेटा अधिक दिनों तक जीवित नहीं रह सकेगा।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और उसका बेटा ओम ग्यारह वर्ष का हुआ तो एक दिन व्यापारी ने अपने दोस्त लालचंद और अपने बेटे को बुलाकर उसे बहुत सारा धन देते हुए कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ। तुम लोग रास्ते में यज्ञ कराते जाना और ब्राह्मणों को भोजन-दक्षिणा देते हुए जाना।
कासी जाते समय रास्ते में जहां भी दोनों आराम करने के लिए रुकते, वहां वो यज्ञ और ब्राह्मणों के लिए भोजन कारते और दान-दक्षिणा देते हुए काशी नगरी की यात्रा करते थे। कुछ दूर जाने के बाद ओम और लालचंद एक नगरी पहुंचे, जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था, जिसके लिए पूरे नगर को दुल्हन की तरह सजाया गया था।
ठीक उसी समय बारात भी आ गई। इस समय लड़के का पिता परेशान था, क्योंकि जिस राजकुमारी से उसका विवाह होने वाला था ऊनसे अपने बेटे की एक आंख से खराब होने की बात छुपाई थी। इसलिए उन्हें डर था कि अगर लड़की वालों को यह बात पता चल गई तो वह शादी तोड़ देंगे।
तभी उसकी नजर ओम और ऊसके चाचा पर पड़ी।लड़के के पिता के मन में तुरंत ये ख्याल आया कि क्यों न अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए ,ओम को ही दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं।एक बार जब उसका विवाह राजकुमारी से हो जाएगा, तो फिर उसके बाद उसे कुछ धन देकर विदा कर दूंगा
फिर राजकुमारी और अपने बेटे को अपने नगर ले आएंगे। लड़के के पिता ने बिना देरी किए लालचंद से इस बारे में बात की और मुहु मांगी धन का प्रस्ताव रखा। लालचंद ने पैसों के लालच में आकर तुरंत लड़के के पिता को हां बोल दिया, इसके तरुंत बाद ही लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह संपन्न कराया और राजा ने बहुत सारी संपत्ति के साथ अपनी बेटी को विदा किया।
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कहानी में आगे क्या हुआ जाने से पहले, आपको कुछ सोमवार व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी भी जाना जरूरी है।
रहस्यमयी पहलू सावन सोमवार व्रत कथा के
सावन सोमवार व्रत कथा के पीछे कई रहस्यमयी पहलू हैं जो इस व्रत को अद्वितीय बनाते हैं। यह कथा एक पुराने ग्रंथ में वर्णित है और इसके अनुसार, एक समय की बात है जब भगवान शिव ने धरती पर आकर लोगों को उनकी भक्ति का महत्व बताने के लिए सावन महीने में सोमवार को व्रत रखने का आह्वान किया। उन्होंने अपनी पत्नी गौरी के साथ एक वन में विराजमान होकर मनुष्यों को धार्मिक तत्वों का उपदेश दिया और उन्हें अपने जीवन का मार्ग दिखाया।
इस कथा में बताया गया है कि भगवान शिव ने सावन महीने में सोमवार को व्रत रखने के लिए कहा था क्योंकि सोमवार को व्रत रखने से मनुष्य की भक्ति और पूजा प्रभावशाली बनती है और भगवान शिव की कृपा मिलती है। इस व्रत को रखने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
महत्व सावन के महीने का
सावन मास भारतीय हिन्दू पंचांग में हिंदू धर्म के 12 महीनों में से एक है। यह मास श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है और विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का समय है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस मास में विशेष रूप से सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने का महत्व होता है। इसलिए सावन सोमवार व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
सोमवार व्रत के विधि और नियम
सावन सोमवार व्रत रखने के लिए कुछ विशेष नियम और विधियां होती हैं। इस व्रत में उपवास के अलावा सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और अर्चना की जाती है। व्रत की शुरुआत में उपवास के बाद शुद्ध मस्तिष्क से भगवान शिव की प्रार्थना की जाती है और उन्हें धूप, दीप, फूल, फल, नैवेद्य आदि से अर्चना की जाती है। इसके बाद व्रत के पश्चात सावन सोमवार के दिन भक्तों को दक्षिणा दी जाती है और फिर पूजा का प्रसाद वितरित किया जाता है।
व्रत के महत्वपूर्ण उपाय
प्रभावशाली बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं जिन्हें लोग अपना सकते हैं।
शिवलिंग पूजा: सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए शिवलिंग पर जल, धूप, दीप, फूल, फल, चंदन, बेल पत्र आदि का उपयोग करें। इससे भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद मिलते हैं।
मन्त्र जाप: सावन सोमवार के दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने से व्रत का प्रभाव और अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्’ जैसे मंत्रों का जाप करें।
गंगाजल का अभिषेक: सावन महीने में भगवान शिव को गंगाजल का अभिषेक करने से व्रत का प्रभाव बढ़ता है। गंगाजल को कलश में भरें और उसे शिवलिंग पर धारित करें।
पूजा में बेल पत्र का प्रयोग: सावन सोमवार के दिन पूजा में बेल पत्र का प्रयोग करने से व्रत की मांगलिकता बढ़ती है। बेल पत्र को शिवलिंग पर धारित करें और मंत्रों के साथ पूजा करें।
भजन और कीर्तन: सावन सोमवार के दिन भगवान शिव के भजन और कीर्तन करने से आध्यात्मिकता बढ़ती है और व्रत की मान्यता और महत्व आत्मसात करता है। भक्तिभाव से भजन गाएं और शिव की महिमा गाने में लीपि
जीवन में व्रत की महत्वता
धार्मिक एवं सामाजिक परंपराओं में व्रत एक महत्वपूर्ण आयाम है। विभिन्न धर्मों में व्रत को मान्यता प्राप्त है और विशेष अवसरों पर उसे मान्यता दिया जाता है। इसमें आध्यात्मिक, शारीरिक, और मानसिक तत्वों का मिश्रण होता है जो एक व्यक्ति के संपूर्ण विकास और आराम से जीने में मदद करता है। सावन सोमवार व्रत एक ऐसा प्रमुख व्रत है जिसे भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व प्राप्त है।
तो चलिए कहानी को आगे बढ़ाते है।
व्यापारी का पुत्र ईमानदार था। उसे यह बात सही नहीं लगी इसलिए ओम ने अवसर पाकर राजकुमारी के दुपट्टे पर सारी सच्चाई लिख की। “प्रिय राजकुमारी जी आप के साथ छल हुआ है।आप का विवाह तो मेरे साथ हुआ है। लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हारी शादी तय हुई, वह एक आंख से काना है। मैं एक व्यापारी का पुत्र हूं और फिलहाल पढ़ाई के लिए काशी जा रहा हूं।
जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी सारी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई। राजा यह सच जानने के बाद अपने बेटी को उस लड़के के साथ भेजने से इनकार कर दिया। और पहले की तरहा अपने पिता के साथ ही रहने लगी।
उधर, ओम कासी के गुरुकुल में पहुंचकर पढ़ाई करने लगा। धीरे-धीरे समय बीतता गया और ओम 14 साल का हो गया। इस दौरान उसने एक महायज्ञ का आयोजन किया। उस दिन लड़के ने अपने चाचा से कहा कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है। चाचा ने कहा कि तुम अंदर जाकर आराम कर लो।
यज्ञ समाप्त होने के बाद लालचंद और ओम के ने सभी ब्राह्मणों को खाना खिलाया और उन्हें कपड़े दिए। सारे काम खत्म करने के बाद ओम रात में अपने कमरे में सोने चला गया।शिवजी के वरदानुसार उसी रात उस बालक के प्राण निकल गए।
अगली सुबह जब लालचंद उसके कमरे में पहुंचा, तो मृत भतीजे को देख विलाप करना शुरू किया। उसकी रोने की आवाज सुनकर आसपास के लोग भी इकट्ठा हो गए और अपना दुख जताने लगे। संयोगवश उसी समय रोने की आवाज, भगवान शिव और मां पार्वती के कानों तक भी जा पहुंची। यह सुन माता पार्वती ने कहा, “हे स्वामी! मैं लालचंद के रोने की इस विलाप को सहन नहीं कर पा रही हूं।
कृपा करके इसके दुख को दूर करें।”पार्वती जी की बात सुनकर जब शिवजी मृत बालक के समीप गए तो वह बोले कि “हे गौरी! यह उसी विजय का पुत्र है, जिसे मैंने 14 वर्ष की आयु का वरदान दिया था, अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है। यह सुन माता पार्वती ने भगवान शिव से एक बार फिर से आग्रह किया।
कि हे स्वामी!, आप इस बालक को और आयु देकर दोबारा जीवित करने की कृपा कर दें। अन्यथा, इसे मृत देख इसके वियोग में इसके माता-पिता भी तड़प-तड़प कर अपने प्राण त्याग देंगे।”माता पार्वती ने शिवजी को याद दिलाया कि ओम के पिता उनके सबसे बड़े भक्त हैं। कई सालों से वह हर सोमवार को आपकी सर्धा पुर्बक पूजा करते आ रहे हैं।
मां गौरी के पुन: आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का आशीर्वाद दिया। और शिवजी की कृपा से ओम दोबारा जीवित हो गया। कुछ समय बाद जब ओम की पढ़ाई पूरी हो गई, तो वह अपने चाचा के साथ अपने नगर की ओर वापस चल दिया।
चलते-चलते दोनों उसी नगरी में जा पहुंचे, जहां राजकुमारी से उसका विवाह हुआ था। यहां पहुंचकर ओम ने एक महायज्ञ का आयोजन किया। तभी पास से गुजर रहे उस नगर के महाराज ने महायज्ञ होते देखा।
महाराज ने एक ही पल में ओम को पहचान लिया और महायज्ञ के समाप्त होते ही वो ओम और लालचंद को अपने साथ महल में ले जाकर कुछ दिनों तक उसकी खातिरदारी की और उसके बाद महाराज ने संपत्ति और कपड़े देकर अपनी पुत्री को विदा किया।
महाराज ने रास्ते में उनकी रक्षा के लिए कुछ सैनिको को भेज दिए।
इधर व्यापारी और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे रहकर बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रण कर रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे
इधर लालचंद और ओम भी महल से अपने नगर पहुंचा और दूत के हाथों ओम के जीवित होने का समाचार व्यापारी तक पहुंचाई।व्यापारी को जैसे ही पता चला कि उसका बेटा 14 साल की उम्र के बाद भी जीवित है, तो वह बहुत खुश हुआ।
दूत की बात सुनकर व्यापारी और उसकी पत्नी नगर के अन्य लोगों के साथ अपने बेटे के स्वागत के लिए गाऊ के गेट के पास पहुंचे। यहां उसे पता चला कि उसके बेटे की शादी एक राजकुमारी से हुई है। वह दोनों साथ में आए हैं, तो उनकी खुशी दोगुनी हो गई। बेटे और अपनी बहू का स्वागत उसने काफी धूमधाम से किया।
उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के सपने में आकर कहा- हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र लंबी उम्र का वरदान दिया है। भगवान शिव से बेटा का जीवन वापस मिलने के बाद भी व्यापारी हर सोमवार को भगवान शिव की अराधना करता रहा।
ठीक इसी प्रकार जो कोई सोमवार व्रत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
निष्कर्ष -(Conclusion)तो प्यारो दोस्तों आज की हमरी या आर्टिकिल सावन सोमवार व्रत कथा के दिलचस्प रहस्य! के बारे में बताया गया है। जिसे पूरा पढ़ के उसके सभी दुख दूर होते हैं। आशा है आपको ये “saavan somavaar vrat katha ”की जानकारी अच्छी लगी हो? तो आप अपने दोस्त और रिस्तेदारो के साथ इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अवश्य शेयर कीजिएगा ताकी अनको भी कुछ सावन सोमवार व्रत कथा के नियम के बारे में पता हो। और ये जानकारी शेयर करके सायद आप ऊन के लिए best बन सकते हो। और साथ ही
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सावन सोमवार व्रत कथा के दिलचस्प रहस्य! POST को पुरे अन्तः तक पढ़ लिए है तो सावन सोमवार व्रत से जुड़े कुछ सर्च किये जाने वाले महत्वपूर्ण तथ्य के जबाब FAQ में दिए गए है।
FAQ –
Ques-1:सावन का व्रत क्यों रखते हैं?
Ans:-सावन के महीने में व्रत रखने वाले लोग विशेष तौर पर सोमवार को शिव की पूजा करते हैं क्योंकि सोमवार को शिव जी का दिन माना जाता है। इस दिन शिव भक्तों की विशेष कृपा होती है और उन्हें बहुत सारे आशीर्वाद मिलते हैं। सावन के महीने में व्रत रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, उन्हें स्वास्थ्य, धन, सुख, समृद्धि और धार्मिकता मिलती है।
इस प्रकार, सावन का व्रत रखने से लोग शिव भक्ति का आनंद लेते हैं और शिवजी की कृपा प्राप्त करते हैं।
Ques-2:सावन के सोमवार व्रत रहने से क्या होता है?
Ans:-सावन के सोमवार के व्रत को रखने से व्रतधारी को विभिन्न लाभ प्राप्त होते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं जो सावन के सोमवार व्रत रखने से हो सकते हैं:
शिव कृपा: सावन के सोमवार व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें सुख-शांति मिलती है।
मनोवैज्ञानिक लाभ: सावन के सोमवार के व्रत रखने से मानसिक तनाव कम होता है और मन शांत रहता है। यह व्रत शांति और ध्यान का अवसर प्रदान करता है।
ये लाभ सावन के सोमवार व्रत रखने से हो सकते हैं, लेकिन इन लाभों की प्राप्ति के लिए नियमित और निष्ठापूर्वक व्रत रखना आवश्यक होता है। यह व्रत शिव भक्ति को मजबूती देता है और धार्मिकता को बढ़ाता है।
Ques-3:सावन के व्रत में क्या नहीं करना चाहिए?
Ans:-सावन के व्रत में रखने पर कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है और कुछ चीजें जिन्हें व्रती नहीं करना चाहिए। यहां कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें सावन के व्रत में नहीं करना चाहिए:
1.तेल और गंदगी से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए।
2.अंगूठे की अंगूठी नहीं पहननी चाहिए।
3.लालची व्यवहार नहीं करना चाहिए और दूसरों को दुःख नहीं पहुंचाना चाहिए।
4.गोशाला या अन्य पवित्र स्थानों में जाने से बचना चाहिए।
5.स्वयं को और दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाली बातें नहीं करनी चाहिए।
ये नियम सावन के व्रत के दौरान पालन किए जाने चाहिए ताकि व्रती शुभता और पवित्रता को बनाए रख सकें।
Ques-4:सावन के व्रत में क्या खाते हैं?
Ans:-सावन के व्रत में कुछ विशेष आहार पदार्थों का सेवन किया जाता है। यहां कुछ ऐसी चीजें हैं जो सावन के व्रत में खाई जा सकती हैं:
फल: सावन के व्रत में फलों का सेवन किया जाता है। केला, आम, सेब, अंगूर, पपीता, अनार आदि सावन के महीने में आसानी से उपलब्ध फल हैं।
दूध: दूध एक महत्वपूर्ण आहार है जो सावन के व्रत में शामिल किया जाता है।
साबूदाना: सावन के व्रत में साबूदाना आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। साबूदाना के पकोड़े, खिचड़ी, पापड़ी, खीर, इत्यादि सावन के व्रत में खाए जाते हैं।
याद रखें कि सावन के व्रत में आपको सत्विक और शुद्ध आहार का सेवन करना चाहिए। व्रत के दौरान आपको तली हुई, मांस, मछली, अंडे, प्याज, लहसुन, मसाले, तेल आदि चीजें नहीं खानी चाहिए। आपको अपने धार्मिक आदर्शों और गुरु की सलाह के अनुसार व्रत का पालन करना चाहिए।
Ques-5:पीरियड में सोमवार का व्रत कैसे करें?
Ans:-पीरियड्स के दौरान भी व्रत के सभी नियमों का पालन करें. यदि आपका पीरियड सावन के सोमवार में हो रहा है, तो खास ध्यान रखते हुए। प्रभु के मंत्र का अधिक से अधिक मनन करें और कोई विशेष पाठ पढ़ना चाहती हैं तो SMART फोन के जरिए उस पाठ को पढ़ सकती हैं. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही पाठ करें.
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