आज की कहानी का नाम है- मूर्ख साधू और ठग की-पंचतंत्र की कहानी, जो की यहाँ कहानी एक मूर्ख साधू और एक ठग की है. जो एक ठग ने कैसे साधू को अपने झांसे में फसकर साधू के साथ ऐसा क्या किया, जानिए, इस कहानी के माध्यम से, जो की हम उम्मीद करते हैं की ये कहानियाँ “मूर्ख साधू और ठग की कहानी” “पंचतंत्र की कहानी” “हिन्दी कहानियां” “Hindi Stories” “Hindi Kahani” “Moorakh Sadhu Aur Thag Kee Hindi Kahani” आपको पढ़ने का शौक है, तो इस कहानी को पुरे बिस्तार से समझने के लिए कहानी को अन्तः तक पढ़िए गा क्यों की ये kahani आपको बहुत पसंद आएगा और हऔर हमें बताएं कि इस कहानी से आपको क्या सीख मिली और आपको कहानी कैसी लगी।
मूर्ख साधू और ठग की-पंचतंत्र की कहानी | Hindi story of foolish sage and thug
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मूर्ख साधू और ठग की कहानी
एक समय की बात है, एक गाँव के मंदिर में माहादेव शर्मा नाम का एक प्रतिष्ठित साधु रहता था। गांव में सभी लोग उनका सम्मान करते थे।वह पूरे गाँव में एकमात्र साधु थे, जिसे पूरे गाँव से विभिन्न प्रकार के कपड़े, उपहार, भोजन सामग्री और धन का दान मिलता रहता था। उन्होंने दान के लालच में गांव में किसी दूसरे साधू को नहीं रहने दिया और अगर कोई आता भी था तो वे उसे किसी भी तरह गांव से बाहर भेज देते थे। इस प्रकार उनमें से कई वस्तुएँ बेचकर साधुओं के पास बहुत सारा धन जमा हो गया।
साधु कभी किसी पर भरोसा नहीं करते थे और हमेशा अपने धन की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते थे। वह अपने धन को एक पोटली में रखता था और हमेशा अपने साथ राख कर चलता था। उसी गांव में एक ठग रहता था. वहीं, ठग की नजर कई दिनों से साधु बाबा के धन पर थी।ठग हमेशा साधू का पीछा किया करता था, वह किसी भी प्रकार से उस धन को हड़पना चाहता था। लेकिन साधू उस गठरी को कभी अपने से अलग नहीं होने देता। फीर उसने एक योजना बनाई और उस ठग ने एक छात्र का वेश धारण किया और साधु के पास पहुंच गया।
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उसने साधु से अपना शिष्य बनाने का आग्रह किया। पहले तो साधु ने मना किया, लेकिन फिर थोड़ी देर बाद मान गए और ठग को अपना शिष्य बना लिया। और इस तरह से वह ठग साधू के साथ ही मंदिर में रहने लगा।
मूर्ख साधू और ठग की-पंचतंत्र की| Hindi कहानी अभी जारी है
और साधु की सेवा के साथ-साथ मंदिर की साफ सफाई से लेकर अन्य सभी कार्य भी करता था। ठग की या सेवा सदकर देख साधु अत्यधिक खुश हुआ, और जल्दी ही उसका विश्वासपात्र बन गया। एक दिन साधू को पास के गांव में एक अनुष्ठान के लिए आमंत्रित किया गया, साधू ने वह आमंत्रण स्वीकार किया और निश्चित दिन साधू अपने शिष्य के साथ अनुष्ठान में भाग लेने के लिए निकल पड़ा।
और अपने धन को भी अपनी पोटली में बांध लिया। रास्ते में उन्हें एक नदी मिली। साधु ने सोचा कि क्यों न गांव में प्रवेश करने के पहले नदी में स्नान कर लिया जाए। फीर उसने धन की गठरी को एक कम्बल के भीतर रखा और उसे नदी के किनारे रख दिया। उसने ठग से सामान की रखवाली करने को कहा और खुद नदी की ओर चले गए।
ठग की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ठग को तो कब से इसी पल का इंतज़ार था। जैसे ही साधु ने नदी में डुबकी लगाई, वह रुपयों की गठरी लेकर चम्पत हो गया। जैसे ही साधु वापस आया तो उसे न तो अपना शिष्य मिला और न ही उसका सामान। यह सब देखकर साधु ने अपना सिर पकड़ लिया। और हमारे द्वारा हुई गलती के बारे में सोचने लगा।
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इस कहानी से हमे सीख मिलती है :- लालच करना और अत्यधिक बातों पर विश्वास हमें किसी भी स्थिति में फंसा सकता है। लालच ने कई बार लोगों को गलत रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया है, जबकि सच्चाई और ईमानदारी कभी नहीं हारती। और चिकनी चुपड़ी बातों पर विश्वास करने से किसी भी प्रकार धोखाधड़ी फंसा सकता है। हमें सतर्क रहना और अपने निर्णयों के प्रति आश्वस्त रहना चाहिए।
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निष्कर्ष-
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