जब ब्राम्हण मिले केकड़े से: उनकी अनोखी कहानी” एक अद्वितीय और प्रेरणास्पद कहानी है जो हमें एक अनूठे सफलता के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति के महत्वपूर्ण साबित करती है। इस लेख में, हम आपको इस रोमांचक kahani की जानकारी देंगे, जिसमें हम सीखेंगे कि आपकी आत्मविश्वास और संकल्प से आप किसी भी मुश्किल को कैसे पार कर सकते हैं। तो ये ” Kekade aur brahman ki Hindi kahani ” आपको पढ़ने का शौक है, तो कहानी को पुरे बिस्तार से अन्तः तक जरूर पढ़िएगा। क्यों की आधी- अधूरी article पढ़ने से बहुत से सवाल के जबाब नहीं मिल पते, तो आइए हमारे साथ आपके कीमती समय ना जाया करते हुए इस अनोखी कहानी के सफर पर👇🏻

ब्राह्मण और केकड़े की रोचक कहानी

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जब ब्राम्हण मिले केकड़े से: उनकी अनोखी कहानी

जब ब्राम्हण मिले केकड़े से: उनकी अनोखी कहानी । Kekade aur brahman ki Hindi kahani

ये एक बहुत पुराणी कहानी है, जो एक शहर के छोटे से गाँव में ब्रह्मदत्त नाम का ब्राम्हण रहता था | और उस के साथ उसकी बूढी माँ रहती थी | बूढी माँ अपने पुत्र को बहुत प्यार करती थी और ब्राम्हण भी अपनी माँ की हर बात मानता था |

एक दिन ब्राम्हण को पूजा-पाठ कराने पास के ही दूसरे गाँव जाना था | ब्राम्हण ने यह बात अपनी माँ को बतलाई | बूढी माँ बोली– “ बेटा ! बाहर जा रहे हो अकेले मत जाना | किसी दूसरा साथी को अपने सांथ ले जाना |”

ब्राम्हण अपनी माँ से बोला – मां! मत डरा, यह रास्ता संकटरहित है। मै हमेशा ही उस गाँव में जाता रहता हूँ और तुम व्यर्थ ही परेशान हो रही हो| घबराओ नहीं मैं शाम तक लौट कर आ जाऊंगा |“

ब्राम्हण पुत्र जाना तो अकेला चाहता था परन्तु वह अपनी माँ की बात की अवहेलना भी नहीं करना चाहता था | वह घर से निकल गया और जैसे ही गाँव से लगी नदी के पास पहुंचा एक केकड़ा उसके पैर के नीचे दबते-दबते बच गया |

ब्राम्हण को लगा अगर यह केकड़ा रास्ते में यूँ ही घूमता रहा तो किसी और के पैर के नीचे आ जायेगा | ब्राम्हण को अपनी माँ की बात याद आई कि अकेले मत जाना | ब्राम्हण ने सोचा इस केकड़े को अपने सांथ लिए चलता हूँ | फीर दोनों हाथों से उसको ऊठा लिया और

उसने अपनी पोटरी से एक खाली डिबिया निकाली और उस केकड़े को डिबिया में रख लिया | इस प्रकार ब्राम्हण ने अपनी माँ की बात भी रख ली अब वो एक से दो हो गए | ब्राम्हण अपने रास्ते चल दिया |

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Kekade aur brahman ki Hindi kahani

जब ब्राम्हण मिले केकड़े से: उनकी अनोखी कहानी

गर्मी के दिन थे और धूप बहुत तेज थी | चलते चलते ब्राम्हण थक गया तो आराम करने के लिए रास्ते में स्थित किसी पेड़ के नीचे सो गया। उसे कब नींद लग गई पता ही नहीं चला | उसी पेड़ के कोटर में एक काला सांप रहता था |

ब्राम्हण की पोटरी में पूजा-पाठ की सामग्री थी जिससे सुगन्धित पूजन सामग्री की खुशबू आ रही थी | काला सर्प अपने कोटर से निकल कर पोटरी में घुस गया और उसमें रखी सामग्री में खाने की वस्तु ढूँढने लगा जिससे पोटरी में रखा सामान गिर गया और केकड़े की डिबिया भी खुल गई |

सांप जैसे ही केकड़े को खाने के लिए आगे बढ़ा केकड़े ने अपने नुकीले डंक सांप की गर्दन में फंसा कर गड़ा दिये | केकड़े के द्वारा अचानक किये हमले से सांप संभल नहीं पाया और वहीँ मर गया |

कुछ देर बाद जब ब्राम्हण की नींद खुली तो उसने अपने आस-पास सामान बिखरा पाया और देखा कि पास में काला सांप कपूर की पुड़िया के उपर मरा पड़ा है। जिसकी गर्दन पे डंक के निशान थे और पास में ही केकड़ा घूम रहा था |

ब्राम्हण समझ गया की इस सांप को केकड़े ने ही मारा है ऐसा सोचकर वह प्रसन्नतापूर्वक बोला अहो! मेरी मां ने सच बात कही थी कि पुरूष को कोई साथी साथ में रखना चाहिये। अकेले कहीं नहीं जाना चाहिये। और क्योंकि मैंने श्रद्धापूर्ण मन से उसकी बात मानी,

इसलिए मैं केकड़े की सहायता से सांप द्वारा मरने से बच गया। य​ह ठीक ही कहा है— विपत्ति आने पर सहायता करने वाले और होते हैं तथा सम्पत्ति के सुख का अनुभव और ही लोग करते हैं। फीर ब्राम्हण ने अपनी जान बचाने के लिए केकड़े का धन्यवाद दिया और वापस जाते समय नदी के पास छोड़ दिया|

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Conclusion(निष्कर्ष):- जब ब्राम्हण मिले केकड़े से: उनकी अनोखी कहानी से हमें शिक्षा मिलता है की हमें समृद्धि और समर्पण की यह अनमोल गुण हमें सफलता की ओर अग्रसर कर सकते हैं। हमें समाज में सभी को समान दृष्टिकोण से देखना चाहिए, और हमें अपने जीवन में। हमेशा अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए |अत:आपको ये अनोखी कहानी को पूरा पढ़के कैसा लगा , कृपया आप हमे COMMENT में लिखकर जरूर बताएं,साथ ही अपने दोस्त और relative के साथ इसे अपने किसी भी social media App के जरिए अवश्य📲शेयर कीजिएगा।

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FAQ –

Ques-1. ब्राह्मण सिर पर चोटी क्यों रखते हैं?

Ans:- ब्राह्मण अपने सिर पर चोटी रखने का परंपरागत कारण है। यह चोटी उनके आध्यात्मिक संबंध को प्रतिष्ठित करती है और उनके ब्राह्मण वर्ण की पहचान होती है। यह एक प्रकार की आध्यात्मिक चिन्ह होती है जो उनके विशेषता को प्रकट करती है और उनके धर्मिक आदर्शों का पालन करती है। इसके अलावा, चोटी का धारण करने से उनका समर्पण और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में सहयोग होता है।

Ques-2. पहला ब्राह्मण राजा कौन था?

Ans:- पहला ब्राह्मण राजा भगीरथ थे, जिन्होंने गंगा नदी को पृथ्वी पर आने का मार्ग खोला था। उनका लक्ष्य था अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करना, और इसके लिए वह अपने तपस्या और पराक्रम से जाने जाते हैं। वे ब्राह्मण वर्ण के थे और उनके योगदान ने भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान बनाया।

Ques-3. केकड़े की कहानी हमें क्या सिखाती है?

Ans:- केकड़े की कहानी भी हमें यह दिखाती है कि कभी-कभी हमें अपने लक्ष्य को पाने के लिए नए और अनूठे तरीके ढूंढने की आवश्यकता होती है, और हमें खुद को समर्पित रूप से काम में लगाना पड़ता है।और या भी सकती है, किसी पर भी आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए और हमेशा किसी भी संभावित मकसद की तलाश करनी चाहिए। यह व्यक्ति को समस्याग्रस्त परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग करना भी सिखाता है।

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