गणेश जी हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जिनकी आदर्श कथाएं और कहानियां बेहद प्रेरणादायक और पागलपन भरी हैं। उनके चित्रण में उनकी विशिष्टता, वैभव और महिमा का प्रतीक छिपा हुआ है। इस लेख में हम “गणेश जी की छोटी सी कहानी” के बारे में जानेंगे।
गणेश जी कहानी छोटी सी: इन हिन्दी | Ganesh ji ki small story
एक गांव में एक ब्राह्मण था, वह हर रोज सुबह उठकर गंगा जी में नहाने जाता, और आकर गणेश भगवान की पूजा करता था। उसकी पत्नी को यह पूजा अच्छी नहीं लगती थी वह हर रोज ब्राह्मण से कहती कि तुम सुबह सवेरे ही पूजा करने बैठ जाते हो मैं घर का कामकाज झाड़ू बिहारी कब करूं ब्राह्मण उसकी बात को अनसुना कर देता
एक दिन ब्राह्मण गंगा जी में नहाने गया पीछे से उसकी पत्नी ने गणेश जी की मूर्ति को छिपा दिया ब्राह्मण ने आकर पूछ मेरी गणेश जी की मूर्ति कहां गई तब ब्राह्मणी ने कहा मुझे नहीं पता कि आपकी मूर्ति कहां है उसे दिन ब्राह्मण ने खाना नहीं खाया और कहा मैं तो गणेश भगवान की पूजा करके ही खाना खाऊंगा ब्राह्मणी ने उन्हें बहुत समझाया कि खाना खा लो
पर ब्राह्मण ने खाना नहीं खाया और वह रोने लग गया दोनों कोलड़ते झगड़ते देखकर गणेश जी की मूर्ति हंसने लगी तब ब्राह्मणी ने गुस्से में आकर कहा तुम्हारी मूर्ति वहां पड़ी है मूर्ति के मिलने पर ब्राह्मण ने गणेश भगवान की पूजा की उसकी पूजा से प्रसन्न होकर गणेश भगवान बोले मेरी सेवा करते-करते तुम्हें बहुत दिन हो गए जो तुम्हें चाहिए वह मांग लो
तब ब्राह्मण ने कहा अन्य मांगू धन मांगू जितना दुनिया में सुख है सर मांगू तब गणेश भगवान ने ब्राह्मण को धन-धान्य और सारा सुख प्रदान किया फिर ब्राह्मण गणेश भगवान की मूर्ति को मंदिर में रखकर पूजा करने लगा धन-धान्य से भरपूर होने पर ब्राह्मणी के मन में गणेश भगवान के लिए श्रद्धा पैदा हुई फिर वह ब्राह्मण को बोलकर गणेश भगवान की मूर्ति घर ले आई
और दोनों पति-पत्नी खूब प्रेम से गणेश भगवान की पूजा करने लगे है गणेश महाराजजैसा अपने ब्राह्मण और ब्राह्मणी को दिया वैसा ही सब किसी को देना कहानी अधूरी हो तो पूरी करना पूरी हो तो मन करना बोलो गणेश भगवान की जय
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Ganesh ji ki kahani chhoti si in English | गणेश जी की छोटी सी कहानी
Ek Brahman tha vah har roj subah uthkar Ganga Ji Mein nahane Jata aur Aakar Ganesh Bhagwan ki Puja Karta Tha uski Patni ko yah Puja acchi Nahin lagti Thi vah har roj Brahman Se kahati Ki Tum Subah Savere hi Puja karne baith Jaate Ho Main Ghar Ka kamkaj jhadu Bihari kab Karun bramhan Uski Baat Ko ansuna kar deta
Ek Din Brahman Ganga Ji Mein nahane Gaya piche se uski Patni Ne Ganesh ji ki Murti ko Chhipa Diya Brahman Ne Aakar poochha Meri Ganesh ji ki Murti kahan Gai tab Gramin Ne Kaha Mujhe Nahin pata ki aapki Murti kahan hai use Din Brahman ne khana nahin khaya aur Kaha Main To Ganesh Bhagwan ki Puja karke hi khana khaunga Brahmani Ne unhen bahut samjhaya ki khana kha lo
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जोर से बोलो गणेश भगवान की जय
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FAQ-
1. गणेश जी की पूजा के क्या लाभ होते हैं?
Ans- गणेश जी की पूजा का महत्व बहुत अधिक है और इससे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ हम कुछ मुख्य लाभों की चर्चा करेंगे:
- शुभ आरंभ: गणेश जी की पूजा करने से पहले, जैसे ही किसी कार्य की शुरुआत की जाती है, उनकी कृपा से वह कार्य सफलता के साथ आरंभ होता है। उनकी आराधना से नए कार्यों में बाधाएँ दूर होती हैं और सफलता मिलती है।
- शुभ कार्यों में सफलता: गणेश जी की पूजा से नए कार्यों में सफलता मिलती है और विघ्नों का समाप्त होता है। उनकी कृपा से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
- धन और समृद्धि: गणेश जी की पूजा से वित्तीय स्थिति में सुधार होता है और धन समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- संतान की प्राप्ति: जिन लोगों को संतान प्राप्ति में समस्या होती है, उन्हें गणेश जी की पूजा करने से लाभ मिलता है। वे संतान के प्राप्ति में सहायक होते हैं।
कल्याण और शांति की प्राप्ति: गणेश जी की पूजा से व्यक्ति को कल्याण और शांति की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति की भावना बनी रहती है।
2. गणेश जी के पास हाथी का सिर क्यों है?
Ans- गणेश जी के पास हाथी का सिर उनके अद्वितीय और महान लीलावतार की कहानी से जुड़ा है। एक प्राचीन कथा के अनुसार, जब गणेश जी के माता पार्वती ने अपने शिशु को शौर्य और साहस की विशेषता से सम्पन्न बनाने के लिए एक अद्वितीय और सबसे शक्तिशाली वरदान मांगा, उन्होंने उन्हें हाथी के सिर के साथ शिवजी ने अनुमति दी। इससे उनकी विशिष्टता का प्रतीक बना है, और उन्हें “गजानन” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “हाथी के सिर वाले देवता”। इस रूप में, गणेश जी को बुद्धिमत्ता, शक्ति, और आदिशक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।3. गणेश जी की पूजा कैसे की जाती है?
Ans- गणेश जी की पूजा करने का विधान बहुत ही सरल है और उसे भक्तों द्वारा विशेष माना जाता है। यहाँ हम गणेश जी की पूजा कैसे की जाती है, उसका संक्षिप्त विवरण प्रदान करते हैं:
- शुद्धि की विधि: पूजा करने से पहले, भक्त को अपने शरीर और मन को शुद्ध करना चाहिए। इसके लिए, स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए।
- पूजा स्थल की सजावट: गणेश जी की मूर्ति के लिए एक शुभ स्थान का चयन करें और उसे सजाएं। आसान, पूजा करने के लिए सामग्री और फूलों की आहार तैयार करें।
- अवाहन की विधि: गणेश जी को पूजा स्थल पर अवाहन करें और मंत्रों के साथ उनका स्वागत करें।
- पूजा करने का विधान: मंत्रों के साथ गणेश जी की पूजा करें, उन्हें दीप, धूप, अर्पण, और प्रार्थना के साथ आह्वान करें।
- प्रसाद का वितरण: पूजा के बाद, भक्तों को प्रसाद बांटें और अपने परिवार के सदस्यों के साथ भोग का आनंद लें।
इस रीति-रिवाज से गणेश जी की पूजा करने से भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, और उनके जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
4. गणेश जी के माता-पिता कौन हैं?
Ans- गणेश जी के माता–पिता माता पार्वती और पिता भगवान शिव हैं। वे हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण देवी-देवता हैं और गणेश जी के प्रिय पालने वाले हैं।5.गणेश जी के साथ संबंधित कुछ सामान्य प्रतीक क्या हैं?
Ans- गणेश जी के साथ संबंधित कुछ सामान्य प्रतीक हैं जो उनकी पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ कुछ मुख्य प्रतीकों का विवरण है:
- हाथी के सिर: गणेश जी के प्रमुख प्रतीक में हाथी का सिर होता है, जो उनकी बुद्धिमत्ता, शक्ति, और आदिशक्ति का प्रतीक है।
- मोदक: एक विशेष प्रकार की मिठाई जिसे मोदक कहा जाता है, गणेश जी के प्रिय पसंदीदा भोजन के रूप में मानी जाती है।
- मुखचिह्न: गणेश जी के मुख पर एक मुस्कान होती है, जो उनकी स्वास्थ्य, संतोष, और सहानुभूति का प्रतीक है।
- शिवलिंग: गणेश जी के साथ शिवलिंग का संबंध होता है, जो उनके पिता भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है।
- मूषक (चूहा): गणेश जी के साथ उनका परिवारीय वाहन मूषक है, जो उनकी विवेकशीलता और बुद्धिमत्ता को प्रतिनिधित्व करता है।
- एक तुस्ती पत्र: गणेश जी के हाथ में एक तुस्ती पत्र होता है, जो ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है।
- लाडू: गणेश जी के प्रिय आहार में लाडू शामिल हैं, जो खुशी, समृद्धि, और सुख का प्रतीक है।
इन प्रतीकों के माध्यम से गणेश जी की पहचान होती है और उनके भक्तों को उनके गुणों का अनुभव कराते हैं।
निष्कर्ष-
गणेश जी की यह कहानी हमें उनके महत्व और प्रभाव को समझने में मदद करती है। उनकी छोटी सी कहानियाँ हमें धर्म, साहस, और संघर्ष की महत्वपूर्ण सीखें देती हैं। गणेश जी के अद्भुत गुणों का अध्ययन करने से हमें अपने जीवन में सफलता और खुशियों की प्राप्ति में मदद मिलती है। और हम आशा करते हैं कि यह लेख आपको पूरा पढ़के अच्छा लगा होगा।
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