आज के इस की इस पोस्ट में चतुर हिरण और शेर की-पंचतंत्र कहानी Hindi में शेयर कर रहे हैं।जो की या कहानी एक चतुर हिरण की है जिस ने कैसे अपनी जान एक खूंखार शेर से बचा पाई जानते है इस कहानी के माध्यम से जो की हम उम्मीद करते हैं की ये कहानियां पूरा पढ़के आपको बहुत पसंद आएगा तो इस कहानी के पुरे बिस्तार से समझने के लिए कहानी को अन्तः तक पढ़िए गा और हमे बताइये गा की या कहानी से आप को क्या शिक्षा मिली और कहानी आप को केसी लगी |

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चतुर हिरण और शेर की-पंचतंत्र की कहानी

चतुर हिरण और शेर की-पंचतंत्र की कहानी | Story of clever deer and lion in hindi

एक बड़े से घने वन में एक बहुत बड़ा शेर रहता था। वह रोज शिकार पर निकलता और एक ही नहीं, बलकि कई-कई जानवरों का काम तमाम कर देता। इसे सभी जंगल के जानवर उस शेर डरने लगे कि अगर शेर इसी तरह शिकार करता रहा तो एक दिन

ऐसा आयेगा कि जंगल में कोई भी जानवर नहीं बचेगा। सारे जंगल में सनसनी फैल गई। शेर को रोकने के लिये कोई न कोई उपाय करना बहुत ज़रूरी था।

एक दिन जंगल के सारे जानवर इकट्ठा हुए और इस प्रश्न पर विचार करने लगे। अन्त में उन्होंने तय किया कि वे सब शेर के पास जाकर उनसे इस बारे में बात करें। फीर दूसरे दिन जानवरों के एक दल शेर के पास पहुंचा। उनके अपनी ओर आते देख शेर घबरा गया और उसने गरजकर पूछा, ‘‘क्या बात है ? तुम सब यहां क्यों आ रहे हो ?’’

तभी जानवर के दल के नेता ने कहा,की ‘‘महाराज, हम आपके पास निवेदन करने आये हैं।आप राजा हैं और हम आपकी प्रजा। जब आप शिकार करने निकलते हैं तो बहुत से जानवरो को  मार डालते हैं।

और आप सबको खा भी नहीं पाते। इस तरह से हमारी संख्या कम होती जा रही है। अगर ऐसा ही होता रहा तो कुछ ही दिनों में जंगल में आपके सिवाय और कोई भी नहीं बचेगा। प्रजा के बिना राजा भी कैसे रह सकता है ? यदि हम सभी मर जायेंगे तो आप भी राजा नहीं रहेंगे।

हम चाहते हैं कि आप सदा हमारे राजा बने रहें। आपसे हमारी विनती है कि आप अपने घर पर ही रहा करें। हर रोज स्वयं आपके खाने के लिए एक जानवर भेज दिया करेंगे। इस तरह से राजा और प्रजा दोनो ही चैन से रह सकेंगे।’’

Story of lion and deer- में आगे क्या हुआ | Hindi कहानी

शेर को लगा कि जानवरों की बात में सच्चाई है। उसने पलभर सोचा, फिर बोला अच्छी बात है। मैं तुम्हारे सुझाव को मान लेता हूं। लेकिन याद रखना,

अगर किसी भी दिन तुमने मेरे खाने के लिये पूरा भोजन नहीं भेजा तो मैं जितने जानवर चाहूंगा, मार डालूंगा।’’ जानवरों के पास तो और कोई चारा नहीं। इसलिये उन्होंने शेर की शर्त मान ली और अपने-अपने घर चले गये।

उस दिन से हर रोज शेर के खाने के लिये एक  जानवर भेजा जाने लगा। इसके लिये जंगल में रहने वाले सब जानवरों में से एक-एक जानवर, बारी-बारी से चुना जाता था।

कुछ दिन बाद हिरन के बच्चे की बारी भी आ गई। शेर के भोजन के लिये एक नन्हें से हिरन को चुना गया। वह हिरन जितना छोटा था, उतना ही चतुर भी था। उसने सोचा, बेकार में शेर के हाथों मरना मूर्खता है।

अपनी जान बचाने का कोई न कोई उपाय अवश्य करना चाहिये, और हो सके तो कोई ऐसी तरकीब ढूंढ़नी चाहिये जिसे सभी को इस मुसीबत से सदा के लिए छुटकारा मिल जाये। आखिर उस हिरन ने एक तरकीब सोच ही निकाली।

हिरन धीरे-धीरे आराम से शेर के गुफा की ओर चल पड़ा। जब वह शेर के पास पहुंचा तो बहुत देर हो चुकी थी। भूख के मारे शेर का बुरा हाल हो रहा था। जब उसने सिर्फ एक छोटे से हिरन के बच्चे को अपनी ओर आते देखा तो गुस्से से बौखला उठा

और गरजता हुआ  बोला, ‘‘किसने तुम्हें भेजा है ? एक तो इतने छोटे से हो, दूसरे इतनी देर से आ रहे हो। जिन बेवकूफों ने तुम्हें भेजा है मैं उन सबको ठीक करूंगा। एक-एक का काम तमाम न किया तो मेरा नाम भी शेर नहीं।’’

चतुर हिरण और शेर की कहानी को आगे पढ़िए | पंचतंत्र की kahani

नन्हे हिरन ने आदर से ज़मीन तक झुककर, ‘‘महाराज, अगर आप कृपा करके मेरी बात सुन लें तो मुझे या और जानवरों को दोष नहीं देंगे। वे तो जानते थे कि एक छोटा सा हिरन आपके भोजन के लिए पूरा नहीं पड़ेगा, ‘इसलिए उन्होंने पाच हिरन भेजे थे।

लेकिन रास्ते में हमें एक और शेर मिल गया। उसने चार  हिरन को मारकर खा लिया।’’ यह सुनते ही शेर दहाड़कर बोला, ‘‘क्या कहा ? दूसरा शेर ? कौन है वह ?

तुमने उसे कहां देखा ?’‘महाराज, वह तो बहुत ही बड़ा शेर है’’, हिरन ने कहा, ‘‘वह ज़मीन के अन्दर बनी एक बड़ी गुफा में से निकला था। वह तो मुझे ही मारने जा रहा था। पर मैंने उससे कहा, ‘सरकार, आपको पता नहीं कि आपने क्या अनर्थ कर दिया है।

हम सब अपने महाराज के भोजन के लिये जा रहे थे, लेकिन आपने उनका सारा खाना खा लिया है। हमारे महाराज ऐसी बातें सहन नहीं करेंगे। वे ज़रूर ही यहाँ आकर आपको मार डालेंगे।’‘‘इस पर उसने पूछा, ‘कौन है तुम्हारा राजा ?’ मैंने जवाब दिया, ‘हमारा राजा जंगल का सबसे बड़ा शेर है।’

‘‘महाराज, ‘मेरे ऐसा कहते ही वह गुस्से से लाल-पीला होकर बोला बेवकूफ इस जंगल का राजा सिर्फ मैं हूं। यहां सब जानवर मेरी प्रजा हैं। मैं उनके साथ जैसा चाहूं वैसा कर सकता हूं। जिस मूर्ख को तुम अपना राजा कहते हो

उस चोर को मेरे सामने हाजिर करो। मैं उसे बताऊंगा कि असली राजा कौन है।’ महाराज इतना कहकर उस शेर ने आपको लिवाने के लिए मुझे यहां भेज दिया।’’हिरन की बात सुनकर शेर को बड़ा गुस्सा आया और वह बार-बार गरजने लगा।

चतुर हिरण और शेर की| Hindi कहानी अभी जारी है

उसकी भयानक गरज से सारा जंगल दहलने लगा। ‘‘मुझे फौरन उस मूर्ख का पता बताओ’’, शेर ने दहाड़कर कहा, ‘‘जब तक मैं उसे जान से न मार दूँगा मुझे चैन नहीं मिलेगा।’’ ‘‘बहुत अच्छा महाराज,’’ हिरन ने कहा ‘‘मौत ही उस दुष्ट की सज़ा है।

अगर मैं और बड़ा और ताकतबर होता तो मैं खुद ही उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता।‘‘चलो, ‘रास्ता दिखाओ,’’ शेर ने कहा, ‘‘फौरन बताओ किधर चलना है ?’’इधर आइये महाराज, इधर, ‘‘हिरन रास्ता दिखाते हुआ शेर को एक कुएँ के पास ले गया और

बोला, ‘‘महाराज, वह दुष्ट शेर ज़मीन के नीचे किले में रहता है। जरा सावधान रहियेगा। किले में छुपा दुश्मन खतरनाक होता है।’’

‘‘मैं उससे निपट लूँगा,’’ शेर ने कहा, ‘‘तुम यह बताओ कि वह है कहाँ ?पहले जब मैंने उसे देखा था तब तो वह यहीं बाहर खड़ा था। लगता है आपको आता देखकर वह किले में घुस गया। आइये मैं आपको दिखाता हूँ।

’’हिरन ने कुएं के नजदीक आकर शेर से अन्दर झांकने के लिये कहा। शेर ने कुएं के अन्दर झांका तो उसे कुएं के पानी में अपनी परछाईं दिखाई दी। परछाईं को देखकर शेर ज़ोर से दहाड़ा। कुएं के अन्दर से आती हुई अपने ही दहाड़ने की गूंज सुनकर उसने समझा कि दूसरा शेर भी दहाड़ रहा है।

दुश्मन को तुरंत मार डालने के इरादे से वह फौरन कुएं में कूद पड़ा। कूदते ही पहले तो वह कुएं की दीवार से टकराया फिर धड़ाम से पानी में गिरा और फिर बचाओ-बचाओ चिलाने लगा मगर उस हिरण ने शेर एक ना सुनी और  उसे डूबता ही छोड़ दिया और कुछ ही देर में वह शेर कुए में डूबकर मर गया।

चतुर हिरण और शेर की कहानी

इस तरह चतुराई से शेर से छुटकारा पाकर नन्हा सा हिरण अपने घर को लौटा आया। उसने जंगल के सभी जानवरों को शेर के मारे जाने की कहानी सुनाई। दुश्मन के मारे जाने की खबर से सारे जंगल में खुशी फैल गई। जंगल के सभी जानवर हिरण  की जय-जयकार करने लगे।और सभी जानवर बिना डरे खुसी-खुसी जंगल में रहने लगे |

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इस कहानी से हमे सीख मिलती है :-

किसी भी संकट की परिस्थितियों में भी हमें सूझ बूझ और चतुराई से काम लेना चाहिए और आखिरी दम तक प्रयास करना चाहिए। सूझ बूझ और चतुराई से काम लेकर हम किसी भी संकट से उबर सकते हैं और बड़े से बड़े शक्तिशाली शत्रु को भी पराजित अर्थात हरा सकते हैं।

निष्कर्ष-

(Conclusion):- तो प्यारो मित्रो हमारी आज की चतुर हिरण और शेर की कहानी आप को पूरा पढ़ के कैसा लगा नीचे COMMENT करके हमे अवश्य बतायें.ताकि हमे प्रेरणा मिले आप के लिए एक और नई कहानी लाने का अगर आप को या कहानी थोड़ी सी भी पसंद आई होगी तो इस पोस्ट को LIKE करके आपने दोस्त और परिवार-जनों के साथ इस कहानी को अवश्य शेयर कीजिएगा,तो हम जल्द ही मिलते है आपसे अगली कहानी के साथ तब तक के लिए,। धन्यवाद,,आपका दिन शुभ हो 

आपका इस 🌐-Blog पर समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्।

 

इस Article से Related google पर serch किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण सबाल के जबाब (FAQs)में दिए गए है।

FAQ –

Ques-1:शेर और हिरण के लेखक कौन है?
Ans:-द लायन एंड द डियर (एन अर्ली-स्टार्ट प्रीस्कूल रीडर): एनी डेकैप्रियो, नैन्से होल्मन, नैन्स होल्मन शेर और हिरण के लेखक है |

Ques-2:शेर के बच्चे का असली नाम क्या था?
Ans:- शेर के बच्चे का असली नाम चाँदसिंह था।

Ques-3:शेर और हिरण में क्या संबंध है?
Ans:- शेर और हिरण में हिरण खाने वाला और शेर शिकारी-शिकार संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है।

Ques-4: शेर कितने साल जीवित रहता है?          
Ans:-शेर सिंह जंगल में 10 -25 वर्ष तक जीवित रहते हैं, जबकि वे कैद मे 10 वर्ष से भी अधिक जीवित रह सकते हैं। जंगल में, नर कभी-कभी ही दस वर्ष से अधिक जीवित रह पाते हैं, क्योंकि प्रतिद्वंद्वियों के साथ झगड़े में अक्सर उन्हें चोट पहुंचती है। वे आम तौर पर सवाना और चारागाह में रहते हैं,|

Ques-5: कौन तेज दौड़ता है हिरण या शेर?
Ans:- एक शेर की गति 49.7 मील प्रति घंटा होती है और हिरण की सबसे तेज नस्ल लगभग 40 मील प्रति घंटा होती है।

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