आपने यकीन करना है कि जब मानव जीवन और प्रकृति के बीच गहरा संबंध होता है, तो अद्वितीय कहानियां उत्पन्न होती हैं। आज, हम एक ऐसी अनमोल कहानी साझा करेंगे जिसमें बारिश के मौसम में मिट्टी के घर की कहानी है, जिसमें एक चिड़िया की भाग्य की अनकही कहानी है।तो इसलिए इस बारिश में मिट्टी का घर: वो चिड़िया की अनकही कहानी (Post )को पूरा अन्तः तक पढ़ के आपको कहानी का महत्त्व (importance) समझ में आएगा, तो आइए हमारे साथ आपके कीमती समय ना जाया करते हुए ,चिड़िया की अनकही कहानी के सफर पर👇🏻

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बारिश में मिट्टी का घर: वो चिड़िया की अनकही कहानी

बारिश में मिट्टी का घर: वो चिड़िया की अनकही कहानी । Mud House in the Rain: The Untold Story of Voria

सुंदरवन जंगल में बहुत सारे पशु पक्षी मिलजुल कर रहा करते थे। इस जंगल में लाडो नाम की एक चिड़िया अपने दो बच्चों के साथ रहती थी। लाडो बहुत मेहनती और दयालु चिड़िया थी। वह दिन होते ही अनाज की खोज में जाना, और शाम होते ही वापस आकर अपने भूखे बच्चों को खिलाना, यही लाडो का काम था।

उसके पड़ोस में ही बुलबुल नाम की चिड़िया रहती थी उसके भी दो बच्चे थे उसका घर मिट्टी का था। उसे वजह से उसे गर्मी के मौसम से बड़े राहत मिलती थी। चलो बच्चन अब नहाने का समय हो चुका है। चलो चलो नहाने नहीं मम्मी हमें नहीं नहाना हम घर से बाहर कहीं भी नहीं जाते। फिर भी आप हमें रोज-रोज नहलाती हो, अरे बच्चों तुम दिन भर खेलते रहते हो इस वजह से तुम गंदे हो जाते हो,

अगर रोज नहीं नाह ओगी तो तुम्हारे पंखों से बदबू आने लगेगी बुलबुल के बच्चों को नहाना पसंद नहीं था। फिर भी बुलबुल उनको जबरदस्ती से नाहालाती थी। बुलबुल ने अपने बच्चों को नाहालाया और उनका घर के ऊपर सूखने के लिए बाहर खड़ा कर दिया, चलो अब मेरे काम का समय शुरू हो जाएगा जंगल के पंछी एक-एक करके मेरे स्विमिंग पूल (swimming pool) में नहाने आएंगे।

बुलबुल बहन क्या मैं मेरे बच्चों को नहलाऊं हां हां क्यों नहीं, पर तुम्हें पता है ना एक बच्चे को एक बेरी हां हां मुझे मालूम है। ये लो दो बेरिया, रानू भी अपने बच्चों को नहलाने लगी। एक-एक करके जंगल के सारे पंछियों ने अपने-अपने बच्चों को नहालाया, लाडो भी अपने बच्चों को नहालाना चाहती थी।

वह बुलबुल के पास चली आती है। बोलो लाडो क्या काम है बुलबुल बहन मुझे भी मेरे बच्चों को नाहालाना है। हा-हा क्यों नहीं लाओ फिर दो बेरिया, अभी तो मेरे पास बेरिया नहीं है। बहन जब मैं पहाड़ी इलाकों में जाऊंगी तब बेरिया लेकर आऊंगी, और तुम्हें दे दूंगी नहीं नहीं ऐसा नहीं चलेगा बेरिया नहीं तो स्विमिंग पूल में नहाने को भी नही मिलगा। ठीक है, इतना कहाकर वो तीनो वह से जा रहे थे। तभी लाडो के बच्चो ने कहा

मां हमें भी बुलबुल आंटी की स्विमिंग पूल में नहाना है। लाडो नहीं बच्चों को समझाते हुए कहा हम नहाने के लिए नदी में जाएंगे वहां का पानी साफ सुथरा है। लाडो अपने बच्चों को स्विमिंग पूल में नहलाना चाहती थी बेचारी लाडो कर भी क्या सकती थी बेरियों का पेड़ ऊंचे पहाड़ी पर था। और लड़ो अपने बच्चों को अकेला घर पर छोड़कर उतनी दूर नहीं जाना चाहती थी। वह अपने बच्चों को लेकर नदी पर आ जाती है

और एक-एक करके उनको नदी के पानी में नाहालाती है। अरे लड़ो ऐसे उदास क्यों बैठी हो क्या कुछ परेशानी है अरे नहीं कालु भैया ऐसी कोई बात नहीं है सोनू मोनू को बुलबुल चिड़िया के स्विमिंग पूल में नहाने की बहुत इच्छा है। लेकिन वह नहलाने के बदले बेरियों की मांग कर रही है। और अभी तो मेरे पास वीर्य नहीं है, बेरिया लाने के लिए मुझे ऊंचे पहाड़ी पर जाना होगा पर मैं मेरे बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर इतनी दूर नहीं जा सकती।

बस इतनी सी बात मैं हूं ना मैं पहाड़ी इलाकों में जाकर बेरिया ले आऊं गा, ओ-ओहो बड़े आए जाने वाले क्यों जी आपके पास कोई दूसरा काम नहीं है क्या, ना बीवी है ना बच्चे आप एक काम करो सारे पंछियों के काम फोकट में करो अरे गोरी मैं तो ऐसे ही कह रहा था मैं पहाड़ी इलाकों में जाता रहता हूंना, इसलिए मैंने ऐसा कहा तुम भी ना गोरी, बहुत दिनों से जग्गू सेब मांग रहा है क्या आपने लाकर दिया, कोई जरूरत नहीं है किसी की मदद करने की अब सीधा मेरे साथ घर चलो

कालू कवा वह से चला जाता है। ममी मुझे भी स्विमिंग पूल में नहाना है। अरे जग्गू तुझे नहाने की कोई जरूरत नहीं है तू तो वैसे भी साफ सुथरा है, लाडू उदास बैठी थी कि तभी वहां पर नीला कुवा आ जाता है। नीले ने सारी बात सुन ली थी लाडो तुम परेशान क्यों होती हो मैं अभी-अभी सब सुन लिया है,

तुम एक काम क्यों नहीं करती मैं तुम्हारी बच्चों की देखभाल करता हूं तुम पहाड़ी इलाकों में जाकर बेरिया लेकर आओ लाडो को नील पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था लेकिन उसे बच्चों कोस्विमिंग पूल में नहलाना भी था। फिर भी लाडो ने नीले से पूछा लेकिन तुम मेरी मदद क्यों कर रहे हो।

अरे मैं भी बहुत दिनों से बेरिया खान की सोच रहा हूं तुम आते समय मेरे लिए भी बेरिया लेकर आना अच्छा ठीक है तो मैं चलती हूं तुम मेरे बच्चों का ध्यान रखना लड़ो बेरिया लाने के लिए पहाड़ी इलाकों की ओर चल पड़ती है, अरे वह यह तो बहुत अच्छा हुआ मुझे पता चला है।

पहाड़ी इलाकों से हमारी जंगल की ओर तेज तूफान आ रहा है, मुझे नहीं लगता कि लाडो उसे तेज तूफान में बच पाएगी फिर मैं इन दो बच्चों को घर से बाहर फेंक दूंगा

लाडो के जाते ही नीला बच्चों को घोसला से बाहर निकाल देता है। और घोसला का दरवाजा लगा लेता है बच्चे अपनी मां की याद में रोने लगते हैं इधर लाडो जैसे तैसे करके आगे बढ़ती रही वैसे ही तेज हवा भी बढ़ने लगी लगता है इस तेज तूफान में मैं उड़ नहीं पाऊंगी लाडो चिड़िया हार मानने वालों में से नहीं थी।

बड़ी कठिनाइयों का सामना करते हुए वह आगे बढ़ती रही तभी उसके सामने से मीनू मौसी उड़ते हुए आ जाती है चलो वापस बारिश के साथ-साथ बहुत बड़ा तूफान भी आने वाला है। अच्छा-अच्छा ठीक है मौसी फीर वह दोनों वापस जंगल में आ जाती है।

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बारिश में मिट्टी का घर: वो चिड़िया की अनकही कहानी

लाडो बहुत तेज बारिश शुरू हो गई है, तुम एक कम करो बारिश रुकने तक मेरे घर में रुक जाओ बारिश थमते ही चली जाना दोनों मीनू मौसी के घोसले के अंदर चली जाती है, बारिश अपने जोरों पर थी मेरे बच्चे ठीक तो होंगे ना, इधर बेचारे बच्चे तेज बारिश में भीग रहे थे वह दोनों एक पेड़ की डाली पर बैठ जाते हैं,

जहां पर कम बारिश का पानी आ रहा था तभी उनको उसे पेड़ के ताने से आवाज आती है बच्चों इधर आओ बच्चे अंदर चले जाते हैं, इधर नीला कौवा मजे में घोड़े बेचकर सो रहा था। तभी एक तेज हवा का झोंका आ जाता है और बुरे कौवे का घोंसला पानी में गिर जाता है।

नीला घर का दरवाजा खोल नहीं पता और वह डूब जाता है थोड़ी देर बाद बारिश कम हो जाती है लाडो वापस अपने बच्चों को देखने उसके घोसले की तरफ आ जाती है। और देखती हैं तो क्या उसका घोसला तो वहां पर नहीं था। वह सब तरफ खोज करने लगती है तभी उसे बुलबुल चिड़िया मिट्टी में दबी हुई दिखाई देती है। लाडो लाडो मुझे बचाओ मेरा मिट्टी का घर बारिश में गल गया और मैं मिट्टी में धस गई हू,

अपनी जान की परवा ना करते हुए लाडो बुलबुल चिड़िया को गीली मिट्टी से बाहर निकलती है, लाडो मुझे माफ कर दो मैं तुम्हारे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया लाडो बुलबुल को कुछ ना बोलते हुए अपने बच्चों को खोजने लगी तभी पेड़ के ताने से बच्चे बाहर आ गए और अपनी मां को पुकारने लगे माँ-माँ हम यहाँ पे है।

लड़ो अपने बच्चो को देख बहुत खुश हो गई अरे मेरे बच्चों तुम कहां पर गए थे, माँ आपके जाते ही उसे नीले अंकल ने हमें घर से बाहर निकाला था। और हम यहां पर आ गए थे हमें इन बूढी दादी ने बचाया मां जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अगर आप मेरे बच्चों को आसरा ना देती तो मेरे बच्चे इस तेज बारिश को सह नहीं पते. कुछ दिन गुजर जाते हैं फिर एक दिन सारे पंछी मिलकर जंगल के बीचों-बीच खुले मैदान में एक बड़ा सा स्विमिंग पूल बना देते हैं। जिसमें वह रोज नहाने लगते हैं।

कहानी की सीख:- इस बारिश में मिट्टी का घर: वो चिड़िया की अनकही कहानी से हमे शिक्षा मिलती है। की हमे कभी भी किसी के साथ बुरा बर्ताव नही करनी चाहिए ,नहीं तो उसका परिणाम एक ना एक दिन सामने आ ही जाता है।

 

निष्कर्ष (Conclusion) –👉🏻तो प्यारो मित्रो हमारी आज की (बारिश में मिट्टी का घर: वो चिड़िया की अनकही कहानी आपको को पूरा पढ़के कैसा लगा। आप हमे COMMENT करके जरूर बतायें,साथ ही अपने दोस्त और रिस्तेदारो के साथ इसे अपने social media अकाउंट के जरिए अवश्य📲शेयर कीजिएगा। ताकी हम इस मजेदार कहानी के जरिए, हम सभी एक दूसरे के साथ जुड़े🤝रहे।

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इस Article से अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न के जबाब(FAQs👇🏻)में दिए गए है।💥

इस Article से अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न के जबाब(FAQs)में दिए गए है।1. मिट्टी का घर क्या है?

उत्तर:- मिट्टी का घर एक प्राकृतिक आवास है जो मिट्टी और अन्य प्राकृतिक सामग्री से बनाया जाता है। यह घर आमतौर पर छत, दीवारें, और फर्नीचर के रूप में मिट्टी का उपयोग करता है। इसका निर्माण सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो सकता है।

2. मनुष्य ने पक्षियों से क्या सीखा?

उत्तर:- पक्षियां हमें उड़ने की कला सिखाती हैं। वे आसमान में कैसे उड़ सकती हैं, इससे हम यह सिखते हैं कि हमें अपने लक्ष्य की ओर उड़ना है, चाहे वो जीवन के किसी क्षेत्र में हो

3. पक्षी कहाँ रहना चाहते हैं?

उत्तर:- पक्षियां अपने आवास के लिए विभिन्न स्थलों की तलाश करती हैं जो उनकी आवश्यकताओं और पर्यावरण की आदतों को संगत करते हैं। वे निम्नलिखित स्थलों पर अपना आवास बनाना पसंद करती हैं:

  • वन्यजीव और जंगल
    अधिकांश पक्षियां जंगल और वन्यजीवों के निकट अपने आवास बनाती हैं। यहाँ पर वन्यजीवों से खाने के लिए स्रोत मिलते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए भी सुरक्षित होते हैं.
  • जलवायु क्षेत्र
    कुछ पक्षियां जलवायु क्षेत्रों में रहना पसंद करती हैं, जैसे कि ठंडी या गर्मी के क्षेत्र, जिनमें उनके लिए उपयुक्त आवास होता है।
  • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह
    यह द्वीपसमूह विशेष रूप से अनेक प्रकार के पक्षियों के लिए आवासी होते हैं और उनके लिए आरामदायक आवास प्रदान करते हैं।
  • उच्च शिखर और पर्वतीय क्षेत्र
    कुछ पक्षियां ऊँचे शिखरों और पर्वतीय क्षेत्रों में अपना आवास बनाती हैं, जहाँ से उन्हें आवश्यक भोजन और सुरक्षा मिलती है।
  • जल में
    कई पक्षियां जल में अपना आवास बनाती हैं, जैसे कि नदियों, झीलों, और समुद्रों के किनारों पर। वे जल के माध्यम से अपना जीवन बिताती हैं और अपने आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।पक्षियां विभिन्न प्रकार के पर्यावरणों में अपने आवास का चयन करती हैं ताकि वे वहाँ पर्याप्त आहार और सुरक्षा प्राप्त कर सकें।

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