हेलो दोस्तो ! ताजमहल, भारत की सबसे पहचाने जाने वाले स्मारकों में से एक है। इसका निर्माण एक अद्वितीय कला और साहित्य का प्रतीक है, जिसमें इतिहास, साहित्य, और सौंदर्य समृद्ध हैं। हाँ, हम यहाँ बात कर रहे हैं या ताजमहल कब बना था, के बारे में , जो एक चर्चा का विषय बन गई है। तो अगर आपको भी यहाँ Agra ka Tajmahal kab bana था, पढ़ने का शौक है तो, आइए हमारे साथ आपके कीमती समय ना जाया करते हुए इस अनोखी ताजमहल के निर्माण कब हुआ था के सफर पर।
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ताजमहल – भारतीय सभी दरबारों में शानदार एवं आद्भुत स्मारकों में से एक है, जो दुनिया भर में अपनी अद्वितीयता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। इस अद्वितीय संरचना की नींव 1631 में रखी गई थी, और इसे भारतीय साहसी शाहजहाँ के प्रेम पत्नी, मुमताज़ के समर्पण में बनाया गया था। इसमें मोहब्बत, सुंदरता, और आकर्षण का एक अद्वितीय संगम है, जो आज भी लोगों के मनोहर में बना हुआ है
यहाँ जानिए ताजमहल कब बना था – Agra ka Tajmahal kab bana tha in Hindi
ताजमहल के निर्माण से पहले क्या हुआ।
ताजमहल के निर्माण से पहले उस 3 एकड़ की भूमि को नदी सरकार से 50 मीटर ऊंचा किया गया स्थान को ऊंचाई प्रदान करने के लिए उसमें कूड़ा करकट भरा गया।
इसे ऊंचाई इसलिए प्रदान की गई ताकि इसे सीलन से बचाया जा सके। साथ ही साथ मजबूत नींव रखने के लिए 50 कुएं खोदे गए तथा उसमें कंकर पत्थर भरकर एक मजबूत नींव डाली गई ताकि इसे सुरक्षा मिल सके।
फिर बांस के बजाय एक बहुत बड़ा ईंटों से निर्मित गुंबद आकार का मकबरा निर्मित किया गया यह गुंबद आकार में इतना बड़ा था, कि इसे हटाने में सालों लग जाते परंतु इस मुश्किल का भी हल ढूंढा गया।
जानेंगे की शाहजहां के आदेशानुसार वहां के स्थानीय किसानों को यह छूट दी गई कि 1 दिन में कोई भी व्यक्ति जितनी मन चाहे उतनी ईटें उठाकर ले जा सकता है लोगों ने ठीक वैसा ही कियाऔर रातों-रात यह गुंबद वहां से साफ हो गया।
उसके पश्चात ताजमहल के निर्माण में उपयोगी सामग्री को नियत स्थान तक पहुंचाने के लिए एक 15 किलोमीटर लंबी मिट्टी का ढांचा तैयार किया गया। सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने एवं ले जाने के लिए 30 से 40 बैलों का एवं बैल गाड़ियों का सहारा लिया गया।
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ताजमहल का निर्माण
ताजमहल का निर्माण यमुना नदी के किनारे आगरा में दक्षिण छोर पर एक छोटे से पठारी भूमि पर करवाया गया था। ताजमहल कब बना था?की बात करें तो आपको जानकर हैरानी होगी कि ताजमहल के निर्माण से पहले इसी जमीन पर राजपूताना महल था
जो जयपुर के महाराजा जय सिंह का आलीशान भव्य महल था। इस स्थान को शाहजहां ने जैसिंग से लिया था। जिसके बदले में शाहजहां ने जयपुर के महाराज जयसिंह को आगरा शहर के मध्य में स्थित एक भव्य एवं बेहद सुंदर महल भेंट में दिया था।
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आज जहाँ ताजमहल बना है, वह जमीन किसका है?
आज जहाँ ताजमहल खड़ा है, वह जमीन वास्तव में राजा मान सिंह की थी. इस तथ्य को लगभग सभी भारतीय – जदूनाथ सरकार, और यूरोपियन इतिहासकार – जॉन मार्शल और इवी. वी. हवेल ने स्वीकार किया है. यहाँ तक की इस्लामिक इतिहासकारों ने भी इस तथ्य पर कोई विरोध नहीं जताया है.
ताज महल को बनवाने में कुल खर्चे पर इतिहासकारों के अपने-अपने मत है. कुछ स्थानों पर इसका खर्चा लगभग 50 से 185 लाख रुपए तक बताया गया है. दीवान-ए-अफरीदी में खर्चा 9 करोड़ 17 लाख बताया है. न्यूयॉर्क टाइम्स में 1853 में प्रकाशित एक लेख के अनुसार 1,750,000 पौंड था. यहाँ भी कोई एकमत नहीं है.
एक फ्रेंच ट्रेवलर जीन बापिस्ट टावरनियर, शाहजहाँ के शासन के दौरान भारत आया था. उसने अपनी इस यात्रा के प्रत्येक विवरण को पुस्तक के माध्यम से लिपिबद्ध किया था. जिसका अनुवाद 1889 में प्रकाशित हुआ. पुस्तक के अनुसार वह 1640-41 में पहली बार आगरा आया था. दरअसल, उसका भारत आना-जाना लगा रहता था.
यमुना नदी से पानी लाने के लिए रहट प्रणाली का प्रयोग किया गया जिसके माध्यम से पानी ऊंचाई पर स्थित बैंकों में भी आसानी से भर जाता था। जहां से कई नालियां निर्मित थी उन नालियों के माध्यम से पानी अपने-अपने स्थानों पर पहुंच जाता था।
आइए जानें कौनसा समय सबसे अच्छा है ताजमहल की दर्शनीयता के लिए जज-
ताजमहल जब से इसे बनाया गया है, तब से ही यह विश्व भर से पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। सुबह के समय, जब सूर्य की किरणें इस प्रेम का संगम साझा करती हैं, और रात के समय, जब चाँदनी रात ताजमहल को चमकाती है, तो यह एक अद्वितीय दृश्य प्रदर्शित करता है।
ताजमहल का सांस्कृतिक महत्व- उसे भारतीय सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक बनाता है। यह एक ऐसा स्थल है जो भारतीय इतिहास, कला, और सांस्कृतिक परंपरा को दुनिया भर में प्रस्तुत करता है। ताजमहल ने विश्व को यह दिखाया है कि भारतीय सांस्कृतिक समृद्धि और शिल्पकला कितनी समृद्ध हैं।
जाने ताजमहल के पीछे की कहानी- में एक गहरा और भावनात्मक संबंध छिपा है। शाहजहाँ ने इसे अपनी पत्नी मुमताज़ की याद में बनवाया, जो उनके लिए अद्वितीय थीं। इसका निर्माण उनके प्रेम की एक महान और अद्वितीय कहानी है, जिसने ताजमहल को एक भव्य स्मारक में बदल दिया।
केवल एवं मकबरे के निर्माण में कितने समय लगा ?
केवल आधारशिला एवं मकबरे के निर्माण में 12 साल लग गए,शेष इमारतों के अन्य भाग को अगले 10 वर्षों में तैयार किया गया। जिसमें सबसे पहले मीनारों को तैयार किया गया , फिर मस्जिद बनाया गया उसके पश्चात जवाब एवं अंत में मुख्य द्वार बनाए गए क्योंकि यह सारे समूह को कई अवस्था में तैयार किया गया।
इसलिए इनकी निर्माण समाप्ति की तिथि अलग-अलग है। क्योंकि ताजमहल के निर्माण में अलग-अलग व्यक्तियों के अलग-अलग मत हैं। जैसे कि मुख्य मकबरा 1643 ईस्वी में बनकर तैयार हुआ था, परंतु शेष इमारतों के समूह को बनने में अधिक समय लग गया था। इस प्रकार इनके निर्माण की तिथियां अलग-अलग है।
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पेरिस से पांचवी भारत यात्रा कहा हुई ?
पेरिस से पांचवी भारत यात्रा यानि 1667 में वह सूरत में था. यह उसकी आखिरी भारत यात्रा थी. उसने अपने संस्मरण के पृष्ठ 110 पर लिखा है, (Taj Mahal).” इस आधार पर टावरनियर के अनुसार ताज महल का निर्माण 1640-41 के दौरान शुरू हुआ होगा.
जबकि मुमताज की मौत के एक दशक पहले 1630 में ही हो चुकी थी. 1667 में जब टावरनियर सूरत में था, एक साल पहले 1666 में ही शाहजहाँ मर चुका था. अपनी मृत्यु से आठ साल पहले तक शाहजहाँ को औरंगजेब ने कैद करके रखा था. इस प्रकार 1658 के आसपास से ही परिवार में गद्दी को लेकर आपसी लड़ाई छिड़ चुकी थी.
टावरनियर यह भी लिखता है कि “ताज महल को बनाने में 22 साल लगे थे.” अब 1641 से 22 साल 1663 में पूरे हुए. इस दौरान शाहजहाँ तो औरंगजेब की कैद में था.
ताजमहल का निर्माण कब हुआ इसपर एक और कहानी पढने की मिलती है. एक स्पेनिश धार्मिक यात्री Sebastian Manrique 1641 में आगरा में था. उसे किसी ने बताया कि ताजमहल के मुख्य आर्किटेक्च इटली के डिजायनर Geronimo Veroneo ने तैयार किया था. हालाँकि वह कभी Veroneo से नहीं मिला था.
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इटली के इस डिजायनर को शाहजहाँ ने क्यों मरबा दिया ?
यह एक सच्चाई है कि इटली के इस डिजायनर को शाहजहाँ ने 1640 में एक पुर्तगाली के हाथों मरवा दिया क्योंकि वह किसी ईसाई की हत्या हिन्दू और मुसलमान से नहीं करवाना चाहता था. आज भी उसकी कब्र लाहौर में स्थित है. अब साल 1899 में हेनरी जॉर्ज नी अपनी पुस्तक A Handbook for Visitors to Agra and Its Neighbourhood में पृष्ठ 23-24 पर लिखता है, “ताजमहल के पूरा बनने से पहले ही Veroneo मर गया था…. इस प्रकार 17 सालों तक चले निर्माण के बाद यह इमारत 1648 में जाकर निर्मित हुई.”
इस तथ्य को अधिकतर इस्लामिक इतिहासकार नकार देते है क्योंकि उनके अनुसार ताजमहल का मुख्य आर्किटेक्चर शाहजहाँ के करीबी एक मुस्लिम उस्ताद अहमद लाहौरी ने बनाया था. फिर भी यह संदेह पैदा होता है कि वास्तव में ताजमहल कब बना, किसने बनाया और कब इसका निर्माण पूरा हुआ?
यहाँ जानिए ताजमहल कब बना था और | कितने मजदूरों थे
ताजमहल कितने मजदूरों ने मिलकर बनाया ?
आमतौर पर कहा जाता है कि ताजमहल को 20,000 मजदूरों ने मिलकर बनाया था. दरअसल यह तथ्य पहली बार, ब्रिटिश काल में लाहौर से प्रकाशित एक पुस्तक ‘गाइड टू द ताज एट आगरा’ के पृष्ठ 14 में मिलता है. हालाँकि, इन मजदूरों की दुर्दशा पर हेनरी जॉर्ज नी ने अपनी पुस्तक के पृष्ठ 27 पर लिखा है, “20,000 मजदूरों ने काम किया
लेकिन उन्हें बहुत कम पैसे मिलते थे. उन्हें भत्ते के तौर पर मक्के के दाने दिए जाते थे, जिसकी लालची अधिकारियों द्वारा कटौती होती रहती थी. इन मजदूरों में भयानक रूप से तनाव था और मृत्यु दर अत्यधिक थी. इसलिए एक कवि ने लिखा है, कि इस संकट की घड़ी में भगवान ही हमारा रखवाला है. अच्छा होता कि हम भी मुमताज के साथ ही मर गए होते.”
ताजमहल की वास्तुकला क्या-क्या है ?(Architecture of TajMahal)
ताजमहल की नींव वर्गाकार आधार पर श्वेत संगमरमर से निर्मित है। ताजमहल के केंद्र बिंदु में संगमरमर का मकबरा स्थित है। ताजमहल एक प्रकार से समिति ए इमारत है।
इस इमारत के शीर्ष पर एक विशाल गुंबद स्थित है। अधिकतर मुगलों के मकबरे में इस प्रकार के गुण मत देखे गए हैं जो फारसी कला से निर्मित है।
तब यह इमारत एक विशाल बहुपक्षीय संरचना के मूलाधार से निर्मित है। इसमें मौजूदा कक्ष घनाकार हैं। ताजमहल के भीतर शाहजहां एवं मुमताज महल का पार्थिव शरीर तुलनात्मक रूप से रखे गए हैं
जिनका मुख दाएं यानी मक्का की ओर है मुमताज महल का कब्र कक्ष के मध्य में स्थित है जिसका आकार आयताकार है।मकबरा बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों से जरा है जोकि मुमताज महल की खूबसूरती का पहचान है।
शाहजहां का कब्र मुमताज की कब्र के दक्षिण और है यह दृश्य पूरे ताजमहल के दृश्यों में से सबसे अनोखा एवं अद्भुत दृश्य है। पहले यह निर्धारित नहीं था, कि शाहजहां का कब्र मुमताज की कब्र के दाहिनी ओर ही बनेगा यह कब्र बाद में बनाया गया।यह मकबड़ा केवल मुमताज महल के लिए ही बनवाया गया था। शाहजहां की कब्र मुमताज महल के कब्र से बड़ी है। ताजमहल का निर्माण सन लेखन एवं संथरा विधि से किया गया है।
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निष्कर्ष-
(Conclusion):- ताजमहल, भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समृद्धि का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसकी शानदारता और सुंदरता ने इसे विश्व में एक अद्वितीय स्थान बना दिया है जो हमेशा से लोगों को आकर्षित करता है। अत:आपको ये ” ताजमहल कब बना था ” की जानकारी पूरा पढ़के बेहद रोचक और काम की लगी होगी, तो कृपया आप हमे COMMENT कर जरूर बताएं,साथ ही अपने दोस्त और relative के साथ इसे अपने social App के जरिए अवश्य📲शेयर कीजिएगा। क्युकी ज्ञान एक ऐसी चीज है जो बाँटने से कम नहीं होता, बल्कि यह बाँटने से और भी बढ़ता है। और साथ ही आपको हमारी इस लेख में कोई भी जानकारी की कमी लगे तो।
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FAQ –
Ques-1. ताजमहल का सौंदर्य कहा छुपा हुआ है?
Ans:- ताजमहल का सौंदर्य उसकी निर्माण में छिपा हुआ है, जो इसे विश्व के सबसे सुंदर स्मारकों में से एक बनाता है। सफेद संगमरमर की शीला और उसमें बने मोती, इसे चाँदनी की तरह चमकाते हैं। ताजमहल के बगीचे, जो उसके आस-पास हैं, और उनमें फूलों की खुशबू, इसे एक स्वर्गीय स्थान बनाते हैं।
Ques-2. ताजमहल में किसकी मृत्यु हुई??
Ans:- ताजमहल में किसकी मृत्यु हुई? यह प्रश्न एक रहस्य से भरपूर है जो हमें शाहजहाँ के प्रेम की कहानी से रूबरू कराता है। ताजमहल, जो अपनी सुंदरता और शानदारी के लिए विख्यात है, इसे बनाने में शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ के प्रति अद्वितीय प्रेम का एक प्रतीक बनाया था।
Ques-3. ताजमहल की असली कहानी क्या है?
Ans:- ताजमहल की असली कहानी एक प्रेम कथा से भरी हुई है जो सम्राट शाहजहाँ और उसकी पत्नी मुमताज़ महल के चमकते हुए संबंध पर आधारित है। इस भव्य स्मारक का निर्माण 17वीं सदी में हुआ था, जब शाहजहाँ ने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद उसकी याद में एक अद्वितीय मकबरा बनाने का निर्णय लिया।
मुमताज़ की मृत्यु के बाद, शाहजहाँ ने उनकी याद में ताजमहल का निर्माण करने का आदान-प्रदान किया। इसे एक सफेद संगमरमर से बनाया गया और इसमें मुमताज़ की कब्र को शामिल किया गया। इसमें मुमताज़ के छवि को सुंदरता से सजाया गया है, जिसने इसे दुनिया भर में एक अद्वितीय स्मारक बना दिया है।
ताजमहल का नाम उर्दू भाषा में ‘ताज’ और ‘महल’ से आया है, जिसका अर्थ होता है ‘ताजगी का महल’। यह भव्य स्मारक अपनी भव्यता, शैली, और प्रेम के कारण विश्व भर में पहचाना गया है और आज भी एक अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थित है।
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