इस लेख में हम बच्चों के लिए 3 सर्वश्रेष्ठ नैतिक कहानियाँ Hindi में शेयर करेंगे, जो की ये तीनो नैतिक कहानियाँ बच्चो को सुनाकर उसका मनोरंजन कर सकते है। इस तीनो कहानियाँ मेँ नैतिक सिद्धांतों से जुड़ी रोचक जानकारी दी गई है।तो ये ” 3 Best Moral Stories for Kids ”बच्चों के लिए 3 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ ” बच्चो की कहानी ” Hindi Kahani ” हिंदी कहानियां ” आपको पढ़ने का शौक है, तो कहानी को पुरे बिस्तार से अन्तः तक जरूर पढ़िएगा। क्यों की आधी- अधूरी article पढ़ने से कुछ समझ में नही आएगा, तो आइए हमारे साथ आपके कीमती समय ना जाया करते हुए इस मनुरंजन से भरपूर कहानी की दुनिया में
बच्चों के लिए 3 सर्वश्रेष्ठ नैतिक कहानियाँ । 3 Best Moral Stories in Hindi
Hmlog apni Kahaniya ke jariye kosis krenge ki aap ke बच्चो के audas Face par थोड़ा सा Smile ला सके sake
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मासूम बिल्ली और चालाक लोमड़ी की कहानी
बहुत समय पहले सीतापुर गांव में एक बिल्ली रहा करती थी। उस बिल्ली ने तीन बच्चे दिए और वह सोचने लगी मरे पास तो घर भी नही है। अब मै अपने बच्चो को कहा रखूगी, इस तरह माऊ बिल्ली बहुत चिंता में पड़ गई, और किसी भी तरह घर बनाने की सोची
तरुंत वह जाकर उसे गांव की एक गली में सड़क के बीच में जाकर लेट गई, तभी वहां से ईटों से भरा एक ठेला निकला ठेला चलाने वाले ने उस बिल्ली को रास्ते में लेटा देखा तो
ठेले वाले ने कहा: ऐ बिल्ली इस तरह रास्ते के बीच क्यू लेटी हो चल वहा से हट जा तो उस के जबाब में
बिल्ली बोली: मै तो यहाँ से नही हाटु गी तो
ठेले वाले ने कहा: मै अपना ईटों वाला ठेला कैसे पार करू फीर
बिल्ली बोली: मुझे अपना घर बनाना है क्या तुम इनमे से कुछ इटे दोगे, ये बिल्ली की मासूमियत देख ठेले वाले ने उसे अपने ईटों में से कुछ इटे दे दिए
कुछ देर बाद वहां से टाइल्स का एक ठेला निकला बिल्ली फिर से सड़क के बीच में जाकर लेट गई
टाइल्स वाले ने कहा: इस तरह से रोड के बीच में क्यों पड़ी है तू
बिल्ली बोली: मुझे अपने बच्चो के लिए घर बनाना है मुझे आपके ठेले में से चार टाइल्स चहिये
फीर टाइल्स वाले ने भी बिल्ली की मासूमियत देख उसे अपने टाइल्स में से चार टाइल्स दे दिए
उस के कुछ देर बाद ही वहां से एक लकड़ी ठेला निकला बिल्ली फिर से सड़क के बीच में जाकर बैठ गई
लकड़ी वाले ने कहा: इस तरह से रोड के बीच में क्यों चुप चाप बैठी हो
बिल्ली बोली: मुझे अपने बच्चो के रहने के लिए घर बनाना है। एसलिए मुझे आपके ठेले में से एक लकड़ी का गठर चहिये
इस तरह उसने एक लकड़ी वाले से एक लकड़ी का गठर ले ली
और उन ईटों, टाइल्स, और लड़कियों से छोटा सा घर बना लिया, और अपने बच्चों को उसमें सुरक्षित रखा माऊ बिल्ली ने उनके प्यारे नाम भी रखें पहले बच्चे का नाम रखा चुनिकी दूसरे का मुनकी और तीसरे का बुली
एक दिन माऊ बिल्ली अपने बच्चों के लिए खाना लेने घर से बाहर निकली बाहर निकलने से पहले
मासूम बिल्ली और चालाक लोमड़ी की कहानी में आगे क्या हुआ | Hindi कहानी
माऊ बिल्ली ने अपने बच्चो से कहा कोई भी आए दरवाजा नही खोलना, मैं आऊंगी और कहूंगी चुनिकी चुनिकी दरवाजा खोलो मुनकी मुनकी दरवाजा खोलो बुली बुली बुलाए दरवाजा खोलो इस तरह से कहूंगी तभी तुमको दरवाजा खोलना है
ऐसा कहकर माऊ बिल्ली बाहर चली गई उसके बाद से वह बच्चे दरवाजा तभी खोलते जब उनकी मां उन्हें इस तरह पुकारती, एक चालाक लोमड़ी ने यह होते देख लिया और उन बच्चों को गपत करने की सोची अगले दिन माऊ बिल्ली जब किसी काम से बाहर निकली
उसे समय मौका देखकर वह चालाक लोमड़ी धीरे से आई
और आवाज देने लगी दरवाजा खोलो दरवाजा खोलो दरवाजा खोलो
बिल्ली के बच्चो ने पूछा: कोण हो तुम
लोमड़ी बोली: मै हु तुम्हारी माँ
बिल्ली के बच्चो ने कहा: नही नही तुम हमारी माँ नही हो हमारी मां हमको इस तरह नहीं बुलाती चले जाओ यहां से
वह चालक लोमड़ी नीरस होकर वहा से चली गई फिर वह पूरी बात जानने के लिए दीवार के पीछे छुपकर खड़ी हो गई इसी बीच माऊ बिल्ली घर आई और आवाज लगाई चुनिकी चुनिकी दरवाजा खोलो मुनकी मुनकी दरवाजा खोलो बुली बुली बुलाए दरवाजा खोलो माँ की आवाज सुनते ही
मासूम बिल्ली और चालाक लोमड़ी की | Hindi कहानी अभी जारी है
तुरंत उन बच्चों ने दरवाजा खोल दिया चालाक लोमड़ी ने छिपकर देखा सुन लिया की माऊ बिल्ली कैसे अपने बच्चो को पुकारती है। अगले दिन जब माऊ बिल्ली ने घर छोड़ चालाक लोमड़ी दरवाजे के सामने पहुंच गई,
आवाज देने लगी चुनि चुनि धकारढाई मुनकी मुनकी धकारढाई बुली बुली बुलाए धकारढाई
ये सुनकर माऊ बिल्ली के बच्चे हास पड़े, और बोले तुम हमारी माँ नही हो सकती हमारी माँ हमे इस तरह नही बुलाती
चालक लोमड़ी चुप हो जाती है। और मन में सोचती है की माऊ बिल्ली कैसे पुकारती है मैने ठीक से नही सुना और ये सोचते हुए फिर से दिवार के पीछे छुप जाती है।
जब माऊ बिल्ली घर को लौटी तो बच्चों ने उस से कहा माँ जब तुम बहार जाती हो ना यहाँ आकर कोई हमसे दरबाजा खोलने के लिए कहता है। लेकिन हम दरवाजा नहीं खोलते माऊ बिल्ली को समझ आ गया कि जरूर चालाक लोमड़ी का काम है।
माऊ बिल्ली ने अपने बच्चों को वहां से निकाल लिया और ले जाकर बिरजू के घर की टांग पर रख दिया
जब लोमड़ी बिल्ली के घर आई और बहुत देर तक आवाज लगाई मगर कोई जवाब नहीं मिला तो लोमड़ी ने माऊ बिल्ली का छुपाकर पीछा किया और जान लिया की बिल्ली ने अपने बच्चों को बिरजू के घर की टांग पर रखा है।
फिर अगले दिन लोमड़ी पीछे के दरवाजे से गई और बच्चों को खोजने लगी तभी बिरजू ने लोमड़ी को देख लिया और उसे लगा कि कही लोमड़ी उसके चूजों को पकड़ने तो नही आई है। उसने तुरंत एक डंडा उठाया और उसे लोमड़ी को मरने लगा और वह लोमड़ी जोर-जोर से चिलाते हुए जंगल की और भागी माऊ बिल्ली अपने बच्चों को घर ले आई और साथ में आराम से रहने लगी।
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2. एक राजकवि ने मगध साम्राज्य के राजा की लाज बचा ली।
बहुत वक्त पहले राजा बिक्रम मगध साम्राज्य पर शासन कर रहे थे। एक दिन वह बगीचे में अकेले बैठे थे और किसी बात को लेकर चिंतित दिखाई दे रहे थे। उस समय राजकवि हरिसेन वहां आए
बोले: राजा मैं ने आपके बारे में कुछ सुना है। सभी लोग इस बारे में चर्चा कर रहे हैं।
राजा बिक्रम बोले: हरिसेन मुझे नहीं पता तुमने क्या सुना है, लेकिन हुआ यूं था कि जब मैं सुबह बगीचे के चक्कर लगाने के लिए घोड़े पर चढ़ रहा था तो अचानक फिसल गया और नीचे गिर गया उस आवाज को सुनकर घोड़ा डर गया और मुझे अपनी पिछली टांग से मार दिया।
मैं उछलकर वहां से दूर झाड़ियां में गिर गया मुझे कोई चोट नहीं लगी लेकिन बिरजू जो उस बगीचे में पौधों को पानी दे रहा था उसने मुझे देख लिया वह मेरे पास आया मुझे उठाया और मेरे कपड़े ठीक किया उस समय सिर्फ बिरजू ही था वह पे
मैं खुश हुआ कि ईश्वर ने मेरा सम्मान रख लिया फिर मैं उपहार के रूप में बिरजू को एक अंगूठी दी और कहा तुम्हें इस बात के बारे में किसी से चर्चा नहीं करनी है। अगर तुमने किसी को ये बताया तो मैं तुमको कड़ी सजा दूंगा
इस तरह मैंने उसे चेतावनी दी लेकिन तब भी लगता है, वह अपने पेट में बात नहीं पचा पाया और इस तरह यह बात आप तक भी पहुंच गई, राजा फिर उदास हो गए राजा कोई और बात भी हो सकती थी। अगर कोई व्यक्ति अपना मुंह खोले तो वह बात एक से दूसरे दूसरे से तीसरे तक पहुंच ही जाती है।
हरिसेन लोगों को पता लगे तो कोई बात नहीं लेकिन डर इस बात का है कि मेरे महल तक ये बात नहीं पहुंचे वरना मेरी रानियां क्या कहूं आपसे वे मुझे बहुत चढ़ाएंगी समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं इसीलिए यहां बैठा हूं। राजा ने दुख व्यक्त किया
हरिसेन बोले: राजा आप उस बात की चिंता बिलकुल ना करें, मैं आपकी रानियां के सामने आपका सम्मान खोने नहीं दूंगा मैं सब कुछ संभाल लूंगा
एक राजकवि और मगध साम्राज्य के राजा की कहानी में आगे क्या हुआ | Hindi कहानी
राजा बिक्रम बोले: यह कैसे संभव है। ये मामला तो उन तक पहले ही पहुंच गया होगा ना बल्कि बढ़ाते बढ़ाते अब तो बात और भी मसालेदार बन गई होगी रानियां मुझे चिढ़ाने के लिए अपने कमरे में मेरा इंतजार कर रही होंगी। आप तो भगवान भी चाहे तो मुझे उनसे नहीं बचा सकते
हरिसेन राजा की बाते सुनकर बोले: राजा अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपके साथ महल चालू मैं जिम्मेदारी लेता हूं कि उन्हें आपका मजाक नहीं बनने दूंगा मुझ पर भरोसा करें प्रिया राजा
राजा इसके लिए राजी हो गए और हरिसेन को अपने साथ महल ले गए उस समय रानियां उत्सुकता से राजा को चिढ़ाने के लिए इंतजार कर रही थी। लेकिन हरिसेन को राजा के साथ आते देखा तो वह चुप रही अपने आसन पर जब राजा बैठ गए तो
हरिसेन ने राजा से जोर से कहा: प्रिया राजा मैंने जो कहा आखिर वह सच हुआ वह समाचार कुछ ही समय में महल भी पहुंच गया, बड़ी रानी पूछ बैठी राजकवि क्या हुआ हमें उस समाचार के बारे में स्पष्ट रूप से बताएं
रानी आज मेरी राजा के साथ एक बहस हो गई मैंने कहा कि सत्य की तुलना में अफवाह तेजी से फैलती है। लेकिन राजा इसे सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि वह मेरी बात तभी मानेंगे अगर मैं साबित कर के दिखाऊं
तब मैं राजा को बिरजू को बुलाने के लिए कहा जो बगीचे में काम कर रहा था और उससे कहा पता है बिरजू राजा घोड़े पर चढ़ते वक्त नीचे गिर गए थे घोड़ा घबरा गया और उसने राजा को पीछे की टांग मार दी इस बात को किसी को मत बताना लेकिन यह अफवाह शहर में सभी तक एक घंटे में ही पहुंच गई प्रिया राजा अब तो मान जाइए जो मैंने कहा था
रानीया बोली: तो हमने जो सुना महज एक अफवा थी। ये जानकर रानीया नीरस होकर अपने अपने कछ में चली गई, फिर राजा बिक्रम ने रानियो के सामने ऊनका सामान बनाए रखने के लिए ,हरिसेन की चतुराई की सराहना की और उन्होंने हरिसेन को सोने के सिक्के उपहार स्वरूप दिया।
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3. कौवे के बच्चे ने चालाक लोमड़ी की साजिस पर पानी फेरा
एक समय की बात है एक घने जंगल में मादा कौवा रहती थी। उसका एक छोटा सा बेटा था इस इरादे से की उसके बच्चे को किसी से धोखा ना मिले माँ कौवे ने उसे पढ़ाया लिखाया और साथ ही संगीत और नृत्य सीख कर उसे प्रतिभावान भी बनाया
एक दिन बच्चे कौवे को मांस का टुकड़ा मिल गया जब वह पेड़ की डाल पर बैठकर उसे खाने वाला था तो एक चालाक लोमड़ी वहां आ गई लोमड़ी ने वह मांस का टुकड़ा हड़पने की सोचने लगी। प्यारी बच्ची तुम क्या कर रहे हो मैंने सुना है।
कि तुमने खूब जमकर पढ़ाई की है। किस विषय की पढ़ाई की है। तुमने बच्चा कौवा चतुर्थ था उसने चालाक लोमड़ी की योजना को भाप लिया। क्युकी माँ कौवे ने उसे एक कहानी सुनाई हुई थी। कि किस तरह एक लोमड़ी ने एक कौवे को धोखा देकर उसके मुंह से रोटी का टुकड़ा ले लिया था।
बच्चे कौवे ने तय किया कि वह उसे कहानी को फिर से नहीं दोहराएगा अगर उसने लोमड़ी को जवाब देने के लिए अपना मुंह खोला तो मांस का टुकड़ा उसके मुंह से नीचे गिर जाएगा और लोमड़ी छट से उसे उठाकर भाग जाएगी।
इसीलिए बड़ी चतुराई से बच्चा कौवे ने अपने मुंह से एक शब्द भी कहे बिना हा में सर हिला दिया। उधर चालाक लोमड़ी ने कुछ और तरीके से वह टुकड़ा हथियाना की सोची और बोली मेरी प्यारी बच्ची ऐसा लगता है। कि तुमने संगीत भी सीखा है।
सभी से सुना है कि तुम बहुत मीठा गाते हो मुझे संगीत बहुत पसंद है। आप खुद की तारीफ तो हर किसी को पसंद आती है इसलिए बच्चा कौवे ने भी एक गीत गाने की सोची, लेकिन उसने बड़ी बुद्धिमानी से उस मांस के टुकड़े को मुंह से निकाल कर अपने पंजे से पकड़ लिया और
कौवे के बच्चे और चालाक लोमड़ी की कहानी में आगे क्या हुआ | Hindi कहानी
फिर गाना गाना शुरू कर दिया दूसरी बार भी लोमड़ी की योजना पर पानी फिर गया लेकिन लोमड़ी ने हार नहीं मानी और
बोली: बहुत खूब तुमने बहुत ही सुंदर गया तुम्हारी आवाज बहुत मीठी है बहुत सुरीला गाते हो लेकिन मेरी एक और इच्छा है इसे भी कर दो ना पूरा मुझे पता चला है कि तुमने नृत्य भी सीखा है। जरा एक बार मुझे भी करके दिखाओ ना बच्चा कौवा जोस से भर गया क्योंकि उसे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिल रहा था लेकिन इस जोश में उसने अपने होश नहीं खोए और कुछ देर सोचने लगा।
फिर उसने मांस उस टुकड़े को फिर से अपने मुंह में रख लिया और नाचने लगा। जब कौअ नाच रहा था। तो चालक लोमड़ी का धयान उस की तहारप नही बल्की ये सोच रहा था की मांस के उस सुआदिस्ट टुकड़े को कैसे हासील करे।
उस बच्चा कौवे के सामने उस लोमड़ी की सारी साजिसे बिअरथ जा रही थी।
जब बच्चा कौवे ने अपना नृत्य दिखाना बंद किया तो
लोमड़ी बोली: वह अद्भुत नाची तुम और इतनी खूबसूरती से गया तुमने मैं आज कितनी खुश हूं, बस एक छोटी सी इच्छा बाकी है।अगर तुम उसे भी पूरा कर दो तो मै खुशी खुशी अपने घर चली जाऊंगी
बच्चा कौवे ने पूछा: वह क्या है आंटी लोमड़ी बताइए
लोमड़ी बोली: प्यारी बच्ची मैं तुम्हें गति और नाचते दोनों एक साथ देखना चाहती हूं तुम गाना गाते हुए नाचूगी इससे मेरी आत्मा तृप्त हो जाएगी।
कौवे के बच्चे और चालाक लोमड़ी की | Hindi कहानी अभी जारी है
बच्चा गोवा बड़ा खुश हुआ उसने इसे पहले कभी अपनी इतनी तारीफ नहीं सुनी थी। लेकिन फिर भी उसने अपनी अकल नहीं खोई बच्चा कौवा बड़ा खुश हुआ उसने इससे पहले कभी इतनी तारीफ नहीं सुनी थी लेकिन फिर भी उसने अपनी अकल नहीं खोई और सोचने लगा कि प्रदर्शन करने से पहले मांस के टुकड़े का क्या किया जाए
बच्चा कौवे प्रिया लोमड़ी आंटी से बोली: मैं अब थक गया हूं इकट्ठा गीत गाने और नाचने के लिए मुझे कुछ शक्ति चाहिए होगी। इसलिए प्लीज थोड़ी देर प्रतीक्षा करें मैं मांस के इस टुकड़े को खाने के बाद जरूर गाऊगा और नाचूंगा
यह सुनने के बाद लोमड़ी ने सोचा कि वहां और ठहरना समय की बर्बादी होगी उस मांस के टुकड़े को पाने के लिए लोमड़ी ने बच्चे कौवे की कर्कश आवाज में गीत सुना था सिर्फ उसे टुकड़े के लिए उस का अजीब सा नृत्य भी देखा था। अब वह और नहीं बर्दाश्त कर सकती थी
इसलिए बोल पड़ी: सुनो बच्ची तुम मांस के उस टुकड़े को आराम से खालो, उस बीच में अपना पूरा काम करके आती हूं, और लोमड़ी वहां से जाने लगी लेकिन उत्साहित बच्चे कौवे ने मांस के उसे टुकड़े को फटाफट से गटक लिया।
और चालाक लोमड़ी को आवाज लगाई और लोमड़ी को उसकी पुकार सुन कर उसे आना ही पड़ा फिर क्या था शिशु कुवा ने उस के सामने गाना और नाचना शुरू कर दिया चालाक लोमड़ी को वहां जबरन खड़े होकर उसे बच्चे कौवे के कर्कश भारी आवाज और प्रदर्शन को देखना ही पड़ा।
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निष्कर्ष-
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