नमस्कार दोस्तों: आज के हमारे इस लेख में हम आपके लिए छठी मैया की लीला: की कहानी आप के लिए स्पेशल लेकर आए है। जो क्यों छठी मैया के पूजा करने से इंकार करती थी तो देर किस लिए पढ़ना सुरु करते है। या छठ पूजा की कहानी:
छठ पूजा की कहानी: व्रत और उपासना से जुड़ी रहस्यमयी बातें | Chhath Puja ki Kahani
बहुत समय पहले की बात है एक बुड्ढी अम्मा थी उनके एक बेटा और एक बहू थे बुड्ढी अम्मा छठी मैया की परम भक्त थी | और हर साल पूरी श्रद्धा से छठी मैया का व्रत करती परंतु बहू नए विचारों वाली थी वह पूजा पाठ में विश्वास नहीं करती थी एक बार बुड्ढी अम्मा छठ पर्ब करने की तैयारी कर रही थी बुड्ढी अम्मा की बहू उन पर हंसने लगी और बोली
अम्मा दुनिया का कहां चली गई है लोग आसमान को छू रहे हैं और आप आज भी इतनी अंधविश्वासी हो छठी मैया की परम भक्त पढ़ी-लिखी बहू का बूंदी अम्मा पर कोई असर नहीं हु आ वह तो बस अपनी तैयारी करती रही बहू फिर बोली अम्मा यह सब बेकार की बातें हैं इस उम्र में तीन दिन तक भूखी रहोगी तो खुद पर ही मुसीबत लाओगी न
जाने क्यों भूखे प्यासे लोग खुद को सताते हैं नई बहू की बातें सुनकर बुड्ढी अम्मा मुस्कुराई और बोली बहू शादी के बाद मेरे संतान नहीं हो रही थी तब मैंने इन्हीं छठी मैया के व्रत को किया तब छठी मैया ने मेरी पुकार सुनी और यह तेरा पति छठी मैया का ही प्रसाद है तू भी इस वर्ष छठी मैया का व्रत कर माता तेरी भी पुकार सुनेंगे और तेरी गोद भी हरी हो जाएगी
मगर नए युग की नई सोच वाली बहू किसी का कहा सुनने वाली नहीं थी बोली मैं पूजा पाठ नहीं करने वाली सुंदर पति मिला है जीवन में हर सुख मिला है आलीशान घर है दिन रात मस्त रहती हूं पूरे गांव में मुझ जैसा धनवान कोई नहीं है सासू मां इस दुनिया में कर्म प्रधान है बुड्ढी अम्मा के लाख समझाने के बाद भी बहू पर कोई असर ना हुआ वह नास्तिक थी इतने में बुड्ढी अम्मा का बेटा वहां आया और बोला
ठीक है तुम्हें पूजा पाठ नहीं करनी तो मत करो लेकिन तुम मेरी मां से झगडो मत और जाकर तैयार हो जाओ छठ माता के घाट पर जाने का समय हो गया है बहू बिना रुचि के उनके साथ घाट पर जाती है लेकिन वहां पूजा करने की बजाय वह मेला घूमने चली जाती है कुछ देर बाद उसका पति उसे वहां न पाकर ढूंढने लगता है तो वह हलवाई के पास स्वादिष्ट पकवान औ का
छठ पूजा की कहानी | Chhath Puja ki Kahani | Story of Chhath Puja
मजा लेती नजर आती है पति उसे कहता है अरे तुम यहां तक आई हो कुछ देर मां के साथ बैठो पत्नी जुंझला कर बोली ना जी मैं पूजा पाठ में नहीं बैठने वाली मैं तो मेला घूमूंगी आप ही करो यह पूजा पाठ पति वहां से चला जाता है और स्नान करने को जैसे ही वह डुबकी लगाता है डुबकी लगाते ही वह डूब जाता है और जोर-जोर से चीखने लगता है
लेकिन किसी को भी उसकी आवाज नहीं आती जैसे ही बुड्ढी अम्मा को पता चला उसका बेटा डूब गया वह जोर-जोर से रोने लगी और छठी मैया से बोली मां मुझे तेरी भक्ति में कौन सी कमी रह गई जो तूने मेरी गोद सूनी कर दी बोलो ना माँ हमसे ऐसी क्या भूल हो गई हम तो घाटपर तुम्हारी पूजा करने आए थे तुमने तो हमारी दुनिया ही उजाड़ दी
मां यदि मुझे जाने अनजाने कोई भूल हुई हो तो उसकी सजा मेरे बेटे को मत दो ऐसा कहकर बुड्ढी अम्मा जोर जोर से रोने लगी उधर मेले में शोर मचा की घाट पर एक व्यक्ति डूब गया है या सुनकर बहुत दौड़ी दौड़ी वहां आती है और देखतती हैं कि उसकी सांस रो रही है और उसका पति डूब गया है तो उसे सदमा लग जाता है वह जोर-जोर से चीखती हुई
बुड्ढी अम्मा से कहती है मैंने पहले ही कहा था अम्मा यह छठ के चक्कर में मत पढ़ो सब ढोंग है अंधविश्वास है और देखो आज मेरा पति मुझसे दूर चला गया यह घटना देखकर सभी लोग मन में छठी माता को पुकारते हैं है मां इस बुढ़िया की पुकार सुन लो छठी मैया तो है ही दयालु माता कभी अपने भक्तों को निराश नहीं करती इधर पुत्र वियोग में बुड्ढी अम्मा जैसे ही जान देने नदी में कूदने लगती है तभी नदी में से एक लहर उठती है और इस लहर में से बुड्ढी अम्मा का बेटा बाहर आ जाता है यह देख
छठ घाट पर खड़े सभी लोगों की आंखें खुली की खुली रह जाती है बुड्ढी अम्मा खुशी से रोने लगती है बहू भी खुशी के मारे जोर-जोर से रोने लगती है इतने में तेज गर्जना के साथ छठी मैया प्रकट हुई और बोली मैं कभी अपने बच्चों का अहित नहीं करती
मैं तुम्हारी आंखों से आज्ञान का पर्दा हटाने के लिए तुम्हारे पति को पानी में डुबाया था मैं सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हूं इस कलयुग में जो भक्त मेरी पूजा करता है मैं उसकी मनोकामना पूर्ण करती हूं यह कहकर छठी मैया अंतर्ध्यान हो गई और घाट पर मौजूद सभी लोगों ने छठी मैया की जय जयकार करी
इस पर भी ध्यान दें
निष्कर्ष-
छठ पूजा भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्वितीय पर्व है, जिसमें व्यक्ति सूर्य देवता और षष्ठी देवी की उपासना कर जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति करता है, यह कहानी हमने गूगल और किताबों से रिसर्च करके लिखी है। तो प्रिय मित्र गानो HINDI में या छठ पूजा की कहानी: आपको पूरा पढ़के अच्छा लगा होगा।
तो कृपया हमें COMMENT में जरूर बताएं, साथ ही इसे नीचे दिए गए बटन के जरिए अपने दोस्तों और परिचितों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, ताकि वे भी इस छठ पूजा की चमत्कारी कहानी: के बारे में जान सकें और सही ज्ञान का लाभ उठा सकें। यदि आप हमारी आने वाली कोई भी नई पोस्ट छोड़ना नहीं चाहते हैं। तो SK.Junction साइट को अवश्य Follow कर ले , और हर एक Article का Notification सबसे पहले पाए
इस लेख से Related Google पर खोजी गई कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर (Faqs में) दिए गए हैं।
FAQ-
1. छठ पूजा की असली कहानी क्या है?
Ans- छठ पूजा की असली कहानी कई पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। इनमें से एक कथा राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी की है, जो निःसंतान थे। उन्होंने पुत्र की कामना लिए ऋषि कश्यप से पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी के गर्भ से एक पुत्र का जन्म हुआ, लेकिन वह मृत पैदा हुआ। इससे दुखी होकर राजा आत्महत्या करने के लिए आतुर हुए, तभी एक देवी ने उन्हें भगवान सूर्य और षष्ठी देवी की आराधना करने को कहा। राजा ने ऐसा किया और उन्हें पुनः पुत्र की प्राप्ति हुई ¹।
- एक अन्य कथा भगवान राम और सीता की है, जिन्होंने अपने वनवास पूरा करने के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन भगवान सूर्य और षष्ठी देवी की आराधना की थी। इस दिन से यह पर्व जनसामान्य में माननीय हुआ
- महाभारत में वर्णित एक कथा में सूर्य पुत्र कर्ण का उल्लेख है, जिन्होंने सूर्य की पूजा आराधना की थी। वह नित्य प्रतिदिन जल में आधे शरीर को उतारकर सूर्य की आराधना करते थे
इन कथाओं के अलावा, छठ पूजा का महत्व सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी है, जो भक्ति और आध्यात्म से परिपूर्ण है। यह पर्व किसान और ग्रामीण जीवन के करीब है, जिसमें वेद और पुराण जैसे धर्मग्रन्थों की नहीं, बल्कि जन सामान्य की रीति-रिवाजों की महत्ता है ²
2. छठ माता किसकी बेटी है?
Ans- छठ माता या षष्ठी देवी भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा की बेटी हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, षष्ठी देवी का जन्म भगवान सूर्य और संज्ञा के घर में हुआ था। वह भगवान सूर्य की पुत्री होने के नाते सूर्य की शक्ति और ऊर्जा की प्रतीक हैं।षष्ठी देवी को छठ माता के रूप में भी पूजा जाता है, जो बच्चों की रक्षा और स्वास्थ्य की देवी हैं। वह अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं।
छठ पूजा के दौरान, षष्ठी देवी की पूजा भगवान सूर्य के साथ की जाती है, जो इस पर्व की महत्वपूर्ण देवता हैं। इस पूजा में सूर्य की ऊर्जा और षष्ठी देवी की शक्ति को आमंत्रित किया जाता है, जो भक्तों को सुख, समृद्धि और संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद देती है।
3. छठ माता का वाहन क्या है?
Ans- छठ माता का वाहन गाय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, षष्ठी देवी का वाहन गाय है, जो पवित्रता, शुद्धता और मातृत्व की प्रतीक है।गाय को हिंदू धर्म में एक पवित्र पशु माना जाता है, जो देवी की शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है। छठ माता के वाहन के रूप में गाय का महत्व इस बात पर आधारित है कि वह अपने बच्चों की रक्षा और पालन-पोषण के लिए समर्पित होती है, जैसे कि षष्ठी देवी अपने भक्तों की रक्षा और स्वास्थ्य के लिए समर्पित होती हैं।
छठ पूजा के दौरान, गाय की पूजा भी की जाती है, जो छठ माता के वाहन के रूप में महत्वपूर्ण है। गाय की पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि और संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
4. छठ पूजा की शुरुआत कैसे करें?
Ans- छठ पूजा की शुरुआत करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- चरण 1: स्नान और शुद्धि
– सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
– शुद्ध कपड़े पहनें।
– पूजा स्थल को साफ और शुद्ध करें।
- चरण 2: पूजा सामग्री इकट्ठा करें
– छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री इकट्ठा करें, जैसे कि:
– फल (केला, सेब, अनार आदि)
– फूल (गुलाब, मोगरा आदि)
– पत्तियां (तुलसी, नीम आदि)
– दीये
– घी
– अक्षत (चावल)
– पानी
- चरण 3: पूजा स्थल तैयार करें
– पूजा स्थल पर एक साफ और शुद्ध आसन बिछाएं।
– आसन पर एक छोटा सा मंडप बनाएं।
– मंडप के अंदर छठ माता की तस्वीर या मूर्ति रखें।
- चरण 4: पूजा आरंभ करें
– पूजा आरंभ करने के लिए दीये जलाएं।
– घी और अक्षत से पूजा करें।
– फल और फूल चढ़ाएं।
– छठ माता की आराधना करें और उनके मन्त्रों का जाप करें।
- चरण 5: सूर्य उपासना
– सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की उपासना करें।
– सूर्य को जल और फल चढ़ाएं।
– सूर्य की आराधना करें और उनके मन्त्रों का जाप करें।
- चरण 6: समापन
– पूजा समापन करने के लिए आरती करें।
– प्रसाद वितरित करें।
– छठ माता को धन्यवाद दें और उनका आशीर्वाद लें।छठ पूजा के दौरान, निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
– पूजा के दौरान शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखें।
-अपना मन शांत और एकाग्र रखें।
– पूजा के दौरान छठ माता के मन्त्रों का जाप करें।5.दुनिया का सबसे कठिन व्रत कौन सा है?
Ans- दुनिया में कई कठिन व्रत हैं, लेकिन उनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- 1. मां शक्ति का व्रत (नवरात्रि): यह व्रत 9 दिनों तक चलता है, जिसमें व्रती को पूरे 9 दिनों तक उपवास रखना होता है, सिर्फ जल और फल खाने की अनुमति होती है।
- 1. शिवरात्रि व्रत: यह व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है, जिसमें व्रती को पूरे दिन और रात उपवास रखना होता है।
- 1. एकादशी व्रत: यह व्रत भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है, जिसमें व्रती को पूरे दिन उपवास रखना होता है।
- 1. छठ पूजा व्रत: यह व्रत सूर्य देवता के लिए रखा जाता है, जिसमें व्रती को 36 घंटे तक उपवास रखना होता है।
- 1. माहाशिवरात्रि व्रत: यह व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है, जिसमें व्रती को पूरे दिन और रात उपवास रखना होता है।
लेकिन अगर दुनिया का सबसे कठिन व्रत चुनना होता, तो वह है:
मौनी अमावस्या व्रत
यह व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें व्रती को पूरे दिन और रात उपवास रखना होता है, साथ ही उन्हें किसी भी प्रकार की बोलचाल नहीं करनी होती है। यह व्रत मौन में रखा जाता है, जिसमें व्रती को अपने विचारों और मन को शुद्ध करना होता है।
यह व्रत बहुत कठिन होता है, क्योंकि इसमें व्रती को अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना होता है, साथ ही उन्हें अपने मन को शांत और एकाग्र रखना होता है।
Keep smiling😊Keep supporting